इस दिनहै मार्च का दूसरा प्रदोष व्रत...जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

मार्च का दूसरा प्रदोष व्रत 26 मार्च 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है.

Update: 2021-03-25 03:40 GMT

मार्च का दूसरा प्रदोष व्रत 26 मार्च 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से खास आशीर्वाद प्राप्त होता है. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत (Kab Hai Pradosh Vrat) को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी
प्रारम्भ – 08:21 ए एम, मार्च 26
समाप्त – 06:11 
प्रदोष व्रत कथा
एक नगर में तीन मित्र रहते थे– राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र. राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकि गौना शेष था. एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे. ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- 'नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है.' धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्‍नी को लाने का निश्‍चय कर लिया. तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया. ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो ज़िद पर अड़ा रहा और कन्या के माता पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी. विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई. दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे. कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकुओं से पड़ा. जो उनका धन लूटकर ले गए. दोनों घर पहुंचे. वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया. उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा. जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी. और कहा कि इसे पत्‍नी सहित वापस ससुराल भेज दें. धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया जहां उसकी हालत ठीक होती गई. यानि शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए.
प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें भगवान शिव की पूजा
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें. धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.

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