इस दिन है चैत्र पूर्णिमा, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि से चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन श्रीराम के परमभक्त हनुमान जी की जयंती भी मनाई जाती है।

Update: 2022-03-23 03:40 GMT

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि से चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन श्रीराम के परमभक्त हनुमान जी की जयंती भी मनाई जाती है। इसके अलावा इसी दिन ब्रज नगरी में भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रास उत्सव रचाया था। माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान एवं दान-पुण्य के कार्य करने से समस्त प्रकार के दुखों से छुटकारा मिलता है। चैत्र माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा, चैती पूनम आदि के नाम से जाना जाता है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान नारायण की पूजा और व्रत किया जाता है। रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा करके अर्घ्य देने के पश्चात व्रत का पारण किया जाता है। चैत पूर्णिमा के दिन नदी, तीर्थ, सरोबर और जलकुंड में स्नान करके दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा की तिथि शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपायों के बारे में।

। चैत पूर्णिमा के दिन नदी, तीर्थ, सरोबर और जलकुंड में स्नान करके दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

चैत्र पूर्णिमा: दिनांक 16 अप्रैल 2022, शनिवार

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ :16 अप्रैल, शनिवार 02:25 AM पू

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अप्रैल 12:24 AM

चंद्रोदय का समय सायं 16 अप्रैल, शनिवार, 06:27 PM

चैत्र पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण का व्रत करने से जातकों को समस्त कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

चैत्र पूर्णिमा हिन्दू नववर्ष की प्रथम पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। चैती पूर्णिमा के अवसर पर जो भक्त श्री हरि विष्णु की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते हैं उन्हें सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण का व्रत करने से जातकों को समस्त कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है।

चैत्र पूर्णिमा के दिन होती है हनुमान जयंती

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन को हनुमान जयंती के नाम से भी जानते हैं। शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जन्मोत्सव कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी और चैत्र शुक्ल पूर्णिमा दोनों दिन मनाया जाता है।

चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रदर्शन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करना चाहिए।

चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि

चैत्र पूर्णिमा के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर लें।

इसके उपरांत चैत्र पूर्णिमा के व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद श्रीविष्णु की पूजा करें।

संभव हो तो सत्य नारायण का पाठ करें।

उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। 

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