इन राशि वालों को शनि देव से बचकर रहे, नहीं होगी कष्ट और परेशानियां
शनि को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में शनि को सूर्य पुत्र और कर्मफल दाता कहा गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शनि को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में शनि को सूर्य पुत्र और कर्मफल दाता कहा गया है. शनि देव को न्यायाधीश (Judge) भी कहा गया है. कलियुग में मनुष्य के कर्मों का हिसाब-किताब शनि ही करते हैं. यही कारण है कि शनि देव से लोग भय खाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि शनि देव सदैव बुरे फल ही प्रदान करते हैं. शनि कुछ राशियों (Zodiac Signs) से शत्रु का भाव रखते हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि शनि इन राशियों को अपनी विशेष परिस्थितियों में कष्ट और परेशानियां प्रदान करते हैं. इसलिए इन राशि वालों को शनि देव से बचकर रहना चाहिए. ये राशियां कौन सी हैं आइए जानते हैं.
मेष राशि
मंगल के साथ शनि की शत्रुता है. मंगल ग्रह को मेष राशि का स्वामी माना गया है. शनि और मंगल में नहीं बनती है. इसी वजह से जब मेष राशि पर शनि की महादशा, शनि की साढ़े साती (Shani Sade Sati) और ढैय्या आरंभ होती है तो इनके जीवन में परेशानियां बढ़ जाती हैं. शनि धन की हानि कराते हैं और कार्यों में बाधा प्रदान करते हैं.
कर्क राशि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्क राशि वालों को भी शनि अपनी विशेष अवस्था में दिक्कत प्रदान करते हैं. चंद्रमा को इस राशि का स्वामी बताया गया है. शनि देव चंद्रमा से शत्रुता (Enmity) रखते हैं. यही कारण है जब शनि और चंद्रमा की युति कुंडली में होती है तो विष योग का निर्माण होता है. जिस कुंडली में यह योग बनता है उसे मानसिक परेशानी (Mental Trouble) और अज्ञात भय की समस्या बनी रहती है. इस कारण व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता है और हानि उठाता है.
सिंह राशि
राशि चक्र के अनुसार सिंह राशि को 5वीं राशि माना गया है. ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार इस राशि के स्वामी सूर्य हैं. सूर्य को ग्रहों का अधिपति कहा गया है. लेकिन इसके बाद भी सूर्य की शनि से नहीं बनती है. दोनों को एक दूसरे का शत्रु माना गया है. जबकि शनि देव सूर्य के ही पुत्र हैं. लेकिन शनि अपने पिता से बैर रखते हैं. इन्हीं कारणों से सिंह राशि वालों को शनि देव साढ़े साती और ढैय्या (Shani Dhaiya) के दौरान विशेष कष्ट प्रदान करते हैं.