अमावस्या से जुड़ी ये बातें, आपकी किस्मत चमका सकती है, जानिए आज क्या करें- क्या नहीं?

उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या को विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माना जाता है।

Update: 2022-05-30 14:06 GMT
अमावस्या से जुड़ी ये बातें, आपकी किस्मत चमका सकती है, जानिए आज क्या करें- क्या नहीं?
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उज्जैन. 30 मई को एक दिन में 3 व्रत-उत्सव होना एक दुर्लभ घटना है। साथ ही साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, केदार, बुधादित्य, स्थिर और वर्धमान सहित कई शुभ योग भी बन रहे हैं। सोमवती अमावस्या का महत्व कई ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन स्नान-दान के साथ-साथ पितरों की शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण आदि करना विशेष शुभ माना गया है। उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या को विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माना जाता है। आगे जानिए शुभ फल पाने के लिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं…

1. सोमवती अमावस्या सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर ऐसा संभव न हो तो पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर घर पर ही स्नान कर सकते हैं।
2. पूरे दिन अपनी इच्छा अनुसार, व्रत रखें और जरूरतमंदों को कच्चा अनाज, कपड़े, जूते आदि चीजों का दान करें। लेकिन ये सब करने से पहले संकल्प जरूर लें।
3. सोमवती अमावस्या पर पूरे घर में अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव करें। इससे घर में पॉजिटिविटी बनी रहेगी।
4. सोमवती अमावस्या की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पीपल पर जल चढ़ाएं। पीपल और वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करें। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इससे गरीबी दूर होती है।
5. सोमवती अमावस्या पर तामसिक भोजन यानी लहसुन-प्याज और मांसाहार से दूर रहें। किसी भी तरह का नशा न करें और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें यानी स्त्री संग से बचें।
6. अमावस्या पितरों की तिथि मानी गई है। इस दिन पितृ शांति के लिए भी विशेष उपाय किए जा सकते हैं। किसी नदी के तट पर या अपने घर पर ही पितृों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य करें। इससे पितरों की कृपा आप पर बनी रहेगी।
7. संभव हो तो अमावस्या पर दूर की यात्रा करने से बचें और हेवी मशीनरी का उपयोग भी न करें। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या पर शरीर के पानी का संतुलन ठीक नहीं रहता, इसलिए दुर्घटना के योग बनते हैं।
8. अमावस्या पर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। क्योंकि ग्रंथों में महादेव को भी पितृ स्वरूप ही बताया गया है।


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