पूजा में उपयोग होने वाली ये 4 चीजें कभी नहीं होती बासी, जानें इसके पीछे की कारण
हिंदू धर्म में पूजा- पाठ का विशेष महत्व होता है. पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में पूजा- पाठ का विशेष महत्व होता है. पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. इससे देवी- देवता प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. पूजा- पाठ के दौरान कई तरह की चीजों का प्रयोग किया जाता है. लेकिन बासी जल, पत्ते और फूलों का प्रयोग करना वर्जित माना गया है. कुछ वस्तुएं ऐसी भी है जिनका प्रयोग कभी भी किया जा सकता है. इन चीजों को बासी नहीं माना जाता है. आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में.
गंगाजल
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक पूजा में कभी भी बासी जल का प्रयोग नहीं किया जाता है. लेकिन गंगाजल कभी भी बासी नहीं होता है. धार्मिक ग्रंथों में इस बात का जिक्र किया गया है कि सालों पुराना गंगाजल खराब नहीं होता है. इसका इस्तेमाल पूजा में किया जा सकता है. गंगाजल का इस्तेमाल शुद्धीकरण के लिए किया जाता है.
बेलपत्र
शास्त्रों में बेलपत्र का बहुत अधिक महत्व है. भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाया जाता है. बेलपत्र का इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता है. आयुर्वेद में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से निजात पाने के लिए उपयोग किया जाता है. मान्यता है कि बेलपत्र को एक बार चढ़ाने के बाद दोबारा भी धोकर चढ़ाया जाता है.
कमल का फूल
पूजा- पाठ में फूलों को विशेष महत्व है. मान्यता है कि फूल चढ़ाने से देवी- देवता अत्यधिक प्रसन्न होते हैं. लेकिन शास्त्रों में बासी फूल चढ़ाना वर्जित माना गया है. लेकिन धार्मिक शास्त्र में कमल के फूल को कभी भी बासी नहीं माना जाता है. आप इस पुष्प को धोकर दोबारा चढ़ा सकते हैं. माना जाता है कि कमल का फूल पांच दिन तक बासी नहीं होता है.
तुलसी के पत्ते
धार्मिक मान्यता के अनुसार, बेलपत्र और गंगाजल की तरह तुलसी के पत्ते कभी भी बासी नहीं होते हैं. आप पूजा में पुराने तुलसी के पत्ते भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आप मंदिर से तुलसी के पत्तों को हटा रहे हैं तो बहते जल में प्रवाहित करें. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो तुलसी के पत्तों को गमलों में मिट्टी के अंदर रख दें. ध्यान रहे जहां भी तुलसी के पत्ते रखें वहां साफ- सफाई होनी चाहिए.