हर कोई अपने जीवन में सुख शांति चाहता है इसके लिए लोग प्रयास भी भरपूर करते हैं लेकिन इसके बवजूद भी अगर व्यक्ति को अपने जीवन में संकट व कष्टों का सामना करना पड़ता है तो वो निराश और परेशान हो जाता हैं। ऐसे ईश्वन की शरण एक मात्र अचूक उपाय माना गया हैं मान्यता है कि जो लोग भगवान की शरण में आते हैं।
वे कभी खाली हाथ नहीं जाते हैं ऐसे में अगर आप दुखों और कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो हर सोमवार के दिन भगवान शिव के श्री दक्षिणामूर्ति नवरत्नमाला स्तोत्र का सच्चे मन से पाठ जरूर करें ऐसा करने से आपको लाभ अवश्य ही मिलेगा।
श्री दक्षिणामूर्ति नवरत्नमाला स्तोत्र—
मूलेवटस्य मुनिपुङ्गवसेव्यमानं
मुद्राविशेषमुकुलीकृतपाणिपद्मम् ।
मन्दस्मितं मधुरवेषमुदारमाद्यं
तेजस्तदस्तु हृदये तरुणेन्दुचूडम् ॥ १ ॥
शान्तं शारदचन्द्रकान्तिधवलं चन्द्राभिरामाननं
चन्द्रार्कोपमकान्तिकुण्डलधरं चन्द्रावदातांशुकम् ।
वीणां पुस्तकमक्षसूत्रवलयं व्याख्यानमुद्रां करै-
र्बिभ्राणं कलये हृदा मम सदा शास्तारमिष्टार्थदम् ॥ २ ॥
कर्पूरगात्रमरविन्ददलायताक्षं
कर्पूरशीतलहृदं करुणाविलासम् ।
चन्द्रार्धशेखरमनन्तगुणाभिराम-
मिन्द्रादिसेव्यपदपङ्कजमीशमीडे ॥ ३ ॥
द्युद्रोरधस्स्वर्णमयासनस्थं
मुद्रोल्लसद्बाहुमुदारकायम् ।
सद्रोहिणीनाथकलावतंसं
भद्रोदधिं कञ्चन चिन्तयामः ॥ ४ ॥
उद्यद्भास्करसन्निभं त्रिणयनं श्वेताङ्गरागप्रभं
बालं मौञ्जिधरं प्रसन्नवदनं न्यग्रोधमूलेस्थितम् ।
पिङ्गाक्षं मृगशाबकस्थितिकरं सुब्रह्मसूत्राकृतीं
भक्तानामभयप्रदं भयहरं श्रीदक्षिणामूर्तिकम् ॥ ५ ॥
श्रीकान्त द्रुहिणोपमन्यु तपन स्कन्देन्द्र नन्द्यादयः
प्राचीनागुरवोऽपि यस्य करुणालेशाद्गतागौरवम् ।
तं सर्वादिगुरुं मनोज्ञवपुषं मन्दस्मितालङ्कृतं
चिन्मुद्राकृतिमुग्धपाणिनलिनं चित्तं शिवं कुर्महे ॥ ६ ॥
कपर्दिनं चन्द्रकलावतंसं
त्रिणेत्रमिन्दु प्रतिमाक्षिताज्वलम् ।
चतुर्भुजं ज्ञानदमक्षसूत्र-
पुस्ताग्निहस्तं हृदि भावयेच्छिवम् ॥ ७ ॥
वामोरूपरिसंस्थितां गिरिसुतामन्योन्यमालिङ्गितां
श्यामामुत्पलधारिणीं शशिनिभां चालोकयन्तं शिवम् ।
आश्लिष्टेन करेण पुस्तकमथो कुम्भं सुधापूरितं
मुद्रां ज्ञानमयीं दधानमपरैर्मुक्ताक्षमालं भजे ॥ ८ ॥
वटतरु निकटनिवासं पटुतर विज्ञान मुद्रित कराब्जम् ।
कञ्चन देशिकमाद्यं कैवल्यानन्दकन्दलं वन्दे ॥ ९ ॥
इति श्री दक्षिणामूर्ति नवरत्नमाला स्तोत्र ।