कलश पर लगने वाले अशोक के पत्तों के हैं बहुत सारे फायदे

शुभ और मांगलिक कार्यों में अशोक के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. कहते हैं कि अशोक के पत्ते में देवताओं का वास होता है. इसे घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है.

Update: 2022-09-26 02:48 GMT
कलश पर लगने वाले अशोक के पत्तों के हैं बहुत सारे फायदे
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शुभ और मांगलिक कार्यों में अशोक के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. कहते हैं कि अशोक के पत्ते में देवताओं का वास होता है. इसे घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. घर में कलश स्थापित करते समय भी कलश के ऊपर अशोक के पत्ते लगाए जाते हैं. वहीं, घर की तोरण में भी अशोक के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. आज हम अशोक के पत्तों के अन्य ज्योतिषीय उपायों के बारे में जानेंगे.

विवाह की समस्याओं के लिए

अगर आप विवाह योग्य हैं और विवाह में अड़चने आ रही हैं या रिश्ता बार-बार टूट जाता है, तो अशोक के पत्ते पानी में डालकर उस पानी से स्नान करने से लाभ होता है. स्नान करने के बाद इन पत्तों को पीपल के पेड़ के पास रखने से आपकी विवाह संबंधी समस्या दूर होगी.

धन प्राप्ति के लिए

अगर आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और धन हानि हो रही है, तो अशोक के पेड़ की जड़ को धारण करने से धन संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. वहीं, इसकी जड़ को धन स्थान या तिजोरी में रखने से धन लाभ होता है.

सात पत्तों का ये उपाय है चमत्कारी

माना जाता है कि अशोक के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है. अगर दांपत्य जीवन में किसी तरह की समस्या आ रही है या फिर आए दिन झगड़े होते रहते हैं,तो अशोक के सात पत्ते भगवान को अर्पित करने से दांपत्य जीवन का तनाव दूर होगा. और दांप्तय जीवन में खुशियां आएंगी.

घर में लगाएं वंदनवार

कहा जाता है कि अशोक के पत्ते नकारात्मकता दूर करते हैं. ऐसे में घर के मुख्य द्वार पर अशोक के पत्तों की वंदनवार लगाने से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. इतना ही नहीं, इसे घर के बाहर लटकाना शुभ माना गया है.

जल अर्पित करने से होता है लाभ

मान्यता है कि अशोक के पेड़ की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए और जल अर्पित करने से मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहते हैं कि जिस घर के आंगन में ये पेड़ लगा होता है, वहां कभी बीमारी, रोग, शोक, गृह क्लेश जैसी समस्याएं उत्पन्न नहीं होती.


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