देवभूमि हिमाचल प्रदेश के जटोली शिव मंदिर के पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाज आती है

Update: 2023-07-10 10:05 GMT
 धर्म अध्यात्म : देवभूमि हिमाचल प्रदेश के जटोली शिव मंदिर में भारत ही नहीं विदेशों से भी लोग घूमने के लिए आते हैं. यहां के पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाज आती है. भारत में ऐसी तमाम जगहें हैं, जहां के रहस्य आज तक सुलझ नहीं पाए. इन रहस्यों के कारण ही ये जगहें लोगों के भी लोकप्रिय हैं. हिमाचल प्रदेश का जटोला शिव मंदिर इन्हीं जगहों में से एक है, जिसकी मिस्ट्री अभी तक अनसुलझी है. भारत में ऐसी तमाम जगहें हैं, जहां के रहस्य आज तक सुलझ नहीं पाए. इन रहस्यों के कारण ही ये जगहें लोगों के भी लोकप्रिय हैं. हिमाचल प्रदेश का जटोला शिव मंदिर इन्हीं जगहों में से एक है, जिसकी मिस्ट्री अभी तक अनसुलझी है. ये मंदिर हिमाचल के सोलन में स्थित है. देश के कोने-कोने से लोग इस मंदिर में घूमने के लिए आते हैं. ऐसा दावा किया जाता है कि ये एशिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है. ये मंदिर हिमाचल के सोलन में स्थित है. देश के कोने-कोने से लोग इस मंदिर में घूमने के लिए आते हैं. ऐसा दावा किया जाता है कि ये एशिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है. मंदिर के अंदर स्फटिक शिवलिंग है. मंदिर के ऊपरी हिस्से में 11 फीट ऊंचा सोने का कलश भी स्थापित किया गया है. इस वजह से भी लोग यहां घूमने के लिए आते हैं. के अंदर स्फटिक शिवलिंग है. मंदिर के ऊपरी हिस्से में 11 फीट ऊंचा सोने का कलश भी स्थापित किया गया है. इस वजह से भी लोग यहां घूमने के लिए आते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाजें आती हैं. द्रविश शैली में बना ये मंदिर करीब 111 फीट ऊंचा है. लोगों का मान्यता है कि यहां स्वयं भगवान शिव आए थे. कहा जाता है कि इस मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाजें आती हैं. द्रविश शैली में बना ये मंदिर करीब 111 फीट ऊंचा है. लोगों का मान्यता है कि यहां स्वयं भगवान शिव आए थे. साल 1974 में इस मंदिर की नींव रखी गई थी. करोड़ों की लागत से बनने वाले इस मंदिर को पूरा होते 39 साल का समय लग गया. इस मंदिर का निर्माण देशों-विदेशों के श्रद्धालुओं द्वारा दान में दिए गए पैसों से हुआ है. साल 1974 में इस मंदिर की नींव रखी गई थी. करोड़ों की लागत से बनने वाले इस मंदिर को पूरा होते 39 साल का समय लग गया. इस मंदिर का निर्माण देशों-विदेशों के श्रद्धालुओं द्वारा दान में दिए गए पैसों से हुआ है.
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