सावन का दूसरा रविवार होता है ख़ास, बेहद दुर्लभ योग में इनकी पूजा करने से होगा फलदायी

शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास के प्रत्येक रविवार को, हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि को सूर्य भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है ।

Update: 2021-07-31 12:04 GMT

शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास के प्रत्येक रविवार को, हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि को सूर्य भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है । श्रावण के रविवार को शिवपूजा पाप नाशक कही गई है। वहीं सावन के हर रविवार को सूर्य भगवान की पूजा करना भी बेहद शुभ फल देने वाला माना जाता है। श्रावण में हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि मिलना बहुत मुश्किल है। इस बार यह योग 1 अगस्‍त, 2021 रविवार को है। माना जा रहा है कि उसके बाद यह दुर्लभ योग 26 जुलाई 2031 को बनेगा।

शिवपुराण में बताई गई यह खास बात
कहते हैं सूर्य शिव के मंदिर में निवास करते हैं अतः शिव मंदिर में भोलेनाथ तथा सूर्य दोनों की पूजा अर्चना करनी चाहिए। शिवपुराण में सूर्यदेव को शिव का स्वरूप व नेत्र भी बताया गया है, जो एक ही ईश्वरीय सत्ता का प्रमाण है। सूर्य और शिव की उपासना जीवन में सुख, स्वास्थ्य, काल भय से मुक्ति और शांति देने वाली मानी गई है।
सावन में सूर्य पूजा कैसे करें
सूर्योदय के समय सूर्य को प्रणाम करें, सूर्य को तांबे के लोटे से जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल, लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य दें।
मंत्र
ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर
अगर यह नहीं बोल सकते तो ऊं अदित्याये नमः अथवा ऊं घृणि सूर्याय नमः का जप करें।
12 ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण करें
शिवलिंग पर घी, शहद, गुड़ तथा लाल चंदन अर्पित करें। सभी चीजें अर्पित न कर पाएं तो तो कोई भी एक अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करें। शिव मंदिर में तांबे के दीपक में ज्‍योत जलाएं। भगवान सूर्य की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ
सावन में रोजाना संभव हो तो अत्‍यंत प्रभावशाली आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। भविष्यपुराण के अनुसार जो रविवार को नक्त-व्रत एवं आदित्यह्रदय का पाठ करते हैं वे रोग से मुक्त हो जाते हैं और सूर्यलोक में निवास करते हैं।
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