गंगा किनारे बसे इस चरित्र वन के अवशेष आज भी त्रेता युग की याद दिलाते हैं
गंगा के किनारे बसा (सिद्धाश्रम) बक्सर आज एक नगर का रूप ले चुका है जिसे कभी तपोवन के रूप से जाना जाता था।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। त्रेता युग में पृथ्वी पर राक्षसों का आतंक फैल रहा था। राक्षस ऋषि-महर्षि के आश्रमों में हो रहे यज्ञों को ध्वंस कर उसमें विघ्न डालते और उनको प्रताड़ित करते। एक बार महर्षि विश्वामित्र चरित्रवन के सिद्धाश्रम में यज्ञ शुरू कर रहे थे। उन्हें आशंका थी कि इस तपोवन में होने वाले यज्ञ को राक्षस लोग अवश्य विध्वंस करेंगे।
महर्षि विश्वामित्र अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पास गए। राजा ने महर्षि का आदर-सत्कार किया। अयोध्या पधारने पर महर्षि ने कहा कि मैं तपोवन के सिद्धाश्रम में एक यज्ञ करना चाहता हूं। मुझे आशंका है कि राक्षस लोग इसका ध्वंस करेंगे इसलिए इस यज्ञ की रक्षा के लिए मैं आपके पास राम-लक्ष्मण को मांगने आया हूं।
राजा दशरथ ने सहर्ष अपने दोनों बेटों को महर्षि विश्वामित्र के साथ भेज दिया। यज्ञ शुरू हुआ।
उस समय मारीच तथा सुबाहु नामक राक्षस यज्ञ ध्वंस करने आए। राम-लक्ष्मण ने उन्हें मारकर इस यज्ञ की रक्षा की। गंगा के किनारे बसे इस चरित्र वन के अवशेष आज भी त्रेता युग के सिद्धाश्रम की याद दिलाते हैं। दो किलोमीटर लम्बे तथा एक किलोमीटर चौड़े इस क्षेत्र में 6 से 8 फुट की दूरी पर प्राचीन यज्ञ कुंड है।
इस यज्ञ कुंड के कई हिस्से मिट्टी से दबे होने के कारण कम ही दिखते हैं। पक्के खपरैल से बंधे पूरे कुएं की गहराई के ये कुंड हैं। इनमें से आज भी जले हुए यज्ञानं मिलते हैं। यहां के गौतम आश्रम के पास अहिल्या का मंदिर है। उसके पास नदाव गांव में नारद आश्रम है। पास के भभूवर ग्राम में भार्गव मुनि का आश्रम है। यह सिद्धाश्रम कभी कारूष देश के रूप में माना जाता था। द्वापर युग में इस देश के राजा पौंडक का श्रीकृष्ण ने वध किया था।
मार्गशीर्ष की कृष्ण पंचमी के दिन गंगास्नान के बाद भक्त चरित्र वन के सिद्धाश्रम की परिक्रमा शुरू करते हैं। उनवांव ग्राम जिसे उद्दालकाश्रय या उद्दालक तीर्थ कहते हैं में संगमेश्वर मंदिर, सोमेश्वर मंदिर, राम रेखा घाट का रामेश्वर मंदिर, महोत्कटा देवी, सिद्धनाथ मंदिर, गौरी शंकर, व्याधसर सरोवर तथा विश्राम कुंड होते हुए सिद्धेश्वर आश्रम पहुंचते हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुगलसराय-पटना रेलवे लाइन पर बक्सर स्टेशन पड़ता है। यहीं पर महर्षि विश्वामित्र का यह आश्रम है। गंगा के किनारे बसा (सिद्धाश्रम) बक्सर आज एक नगर का रूप ले चुका है जिसे कभी तपोवन के रूप से जाना जाता था।