इस दिन मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा का पर्व, जानिए पूजा विधि

हमारे देश में कई तरह के धार्मिक पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से एक है गुड़ी पड़वा। गुड़ी पड़वा एक ऐसा पर्व है, जिसकी शुरुआत के साथ सनातन धर्म की कई सारी कहानियां जुड़ी हैं। तिथि के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है। गुड़ी पड़वा को मानाने के पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के ही दिन सतयुग की भी शुरुआत हुई थी।

Update: 2022-03-26 03:24 GMT

हमारे देश में कई तरह के धार्मिक पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से एक है गुड़ी पड़वा। गुड़ी पड़वा एक ऐसा पर्व है, जिसकी शुरुआत के साथ सनातन धर्म की कई सारी कहानियां जुड़ी हैं। तिथि के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है। गुड़ी पड़वा को मानाने के पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के ही दिन सतयुग की भी शुरुआत हुई थी। इसलिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वहीं पौराणिक मान्यता के अनुसार, गुड़ी पड़वा के दिन प्रभु श्रीराम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया था। तो चलिए आज जानते हैं कब है गुड़ी पड़वा और क्या है इसका महत्व...

01 अप्रैल शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 53 मिनट से से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो रही है। ये तिथि अगले दिन 02 अप्रैल शनिवार को 11 बजकर 58 मिनट तक है। ऐसे में इस साल गुड़ी पड़वा 02 अप्रैल को मनाया जाएगा।

इस साल गुड़ी पड़वा पर इंद्र योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। अमृत सिद्धि योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग 1 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 40 मिनट से 2 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट तक हैं। वहीं 2 अप्रैल को इंद्र योग सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक है। वहीं नक्षत्र की बात करें तो, रेवती नक्षत्र गुड़ी पड़वा को दिन में 11 बजकर 21 मिनट तक है। उसके बाद अश्विनी नक्षत्र शुरू हो जाएगा।

गुड़ी पड़वा को हिंदू नववर्ष की शुरूआत माना जाता है। वहीं भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे उगादी, युगादी, छेती चांद आदि विभिन्न नामों से मनाया जाता है।


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