शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम दिन है, जानिए इसकी पूजाविधि और महत्व

भगवान शिव बड़े दयालु हैं. उनकी पूजा करने से भक्त की जन्म-जन्मांतर की बाधाएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं

Update: 2021-06-02 13:20 GMT
शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम दिन है, जानिए इसकी पूजाविधि और महत्व
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मासिक शिवरात्रि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन व्रत रखकर भक्त भगवान शिव की उपासना करते है. हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवों के देव कहा गया है. इन्हें महादेव के नाम से भी जाना जाता है. भगवान शिव बड़े दयालु हैं. उनकी पूजा करने से भक्त की जन्म-जन्मांतर की बाधाएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं. भगवान शिव की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम दिन शिवरात्रि का दिन होता है.


जयेष्ट महीने की मासिक शिवरात्रि 8 जून दिन मंगलवार को है. इस दिन यह बहुत ही शुभ योग बन रहा है कि मासिक शिवरात्रि के दिन बड़ा मंगल भी है. धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ योग में मासिक शिवरात्रि का व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से असीम शुभ फल की प्राप्ति होती है.

मासिक शिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, हिंदी कैलेंडर के ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का शुभारंभ 8 जून को 11 बजकर 24 मिनट से होगा. यह तिथि 9 जून दिन बुधवार को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी. इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय 8 जून को रात 12 बजे से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक ही है. शिव भक्तों को चाहिए कि इस 40 मिनट के अंदर भोलेनाथ की पूजा कर लें.

मासिक शिवरात्रि का महत्त्व

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़, शिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था. तभी से इस तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने साकार रूप धारण किया था. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. उनके दुःख मिट जाते हैं. अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है. मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से दंपत्तियों का जीवन सुखमय और आनंदमय होता है और जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं.


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