पितरों की पूजा के लिए खास है आषाढ़ अमावस्या का दिन, जाने पूजा विधि
पूजा पाठ के लिए आषाढ़ के महीने को बेहद ही लाभकारी माना जाता है। इस महीने में अमावस्या भी आती है। आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या आषाढ़ अमावस्या कहलाती है।
पूजा पाठ के लिए आषाढ़ के महीने को बेहद ही लाभकारी माना जाता है। इस महीने में अमावस्या भी आती है। आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या आषाढ़ अमावस्या कहलाती है। इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं।
दरअसल, इस अमावस्या के दिन नदी में स्नान करके पितरों की पूजा की जाती है। इसके अलावा हल और खेतों में उपयोग होने वाले उपकरणों का भी पूजन होता है। यह दिन किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। किसान पूरे विधि विधान से हल पूजन करते हैं।
साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी फसल हरी-भरी बनी रहे। बता दें, इस बार आषाढ़ अमावस्या 28 जून दिन मंगलवार को है। ऐसे में शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में पता होना जरूरी है। जानिए कि आषाढ़ अमावस्या के दिन कौन सा शुभ मुहूर्त है और इस दिन पूजा अर्चना करने से क्या पुण्य मिलता है।
आषाढ़ अमावस्या का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ अमावस्या तिथि आरंभ: 28 जून 2022, सुबह 05:53 मिनट से
आषाढ़ अमावस्या तिथि समापन: 29 जून 2022, सुबह 08:23 मिनट तक
आषाढ़ अमावस्या का महत्व
आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके सूर्य भगवान को जल देने का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पितरों की शांति के लिए दान करते हैं। इस दिन यज्ञ करने का अनंत फल मिलता है। व्यक्ति को पितरों की शांति के लिए गरीबों की सेवा करनी चाहिए और जरूरतमंदों को खाना-खिलाने साथ ही अपनी हैसियत के मुताबिक दान-दक्षिणा देनी चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है। लोग उन वस्तुओं की पूजा करते हैं, जिनका वह रोजमर्रा में प्रयोग करते हैं। इससे उन्हें उचित मान-सम्मान मिलता है और घर में खुशहाली आती है।
अमावस्या पर करें ये काम
सूर्योदय से पूर्व उठें और किसी पवित्र नदी पर स्नान करें।
सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।
भगवान शंकर,मां पार्वती और तुलसी की ग्यारहा परिक्रमा करें।
अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है।