सुख, शांति और समृद्धि बढाने में सहायक रहतें है वास्तु द्वारा चयन किए गए रंग
भारतीय व्यवस्था में वास्तुशास्त्र का बड़ा महत्व माना जाता हैं। संसार में स्थित हर वस्तु से कोई न कोई वास्तु जरूर जुड़ा होता हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं वास्तु में रंगों के महत्व के बारे में। रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता हैं। रंग किसी भी व्यक्ति की विचारधारा को प्रकट करते हैं। वास्तु में रंगों का उचित प्रयोग इंसान की सुख, शांति और समृद्धि के बढ़ाने में सहायक होता हैं। हर रंग से जुडी वास्तु में कई बातें होती हैं। तो आइये जानते हैं वास्तु में रंगों के महत्व के बारे में।
* पीला रंग हमें सुकून और गर्माहट का अहसास देता है। इस रंग से कमरे में रोशनी की जरूरत कम पड़ती है। इसलिए जिस कमरे में सूर्य की रोशनी कम आती हो, वहां दीवारों पर पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। घर के ड्राइंग रूम में अगर आप पीला रंग करवाते हैं तो वास्तु के अनुसार यह शुभ माना जाता है।
* भवन के मुख्य द्वार का रंग क्रीम कलर, लाल, गुलाबी, हल्का महरून होना शुभ होता है। किसी भी स्थिति में नीला, स्लेटी या काला रंग नहीं करना चाहिए।
* काला, ग्रे, बादली, कोकाकोला, गहरा हरा आदि रंग नकारात्मक प्रभाव छोडते हैं। अत: भवन में दिवारों पर इनका प्रयोग यथा संभव कम करना चाहिये। गुलाबी रंग स्त्री सूचक होता है। अत: रसोईघर में, ड्राईंग रूम में, डायनिंग रूम तथा मेकअप रूम में गुलाबी रंग का अधिक प्रयोग करना चाहिये।
* भोजन के कमरा का बहुत ही महत्त्व होता है क्योकि यह वह स्थान होता है जहां पर घर के प्रत्येक सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते है। भोजन के दौरान कई बार बहुत ही महत्त्वपूर्ण निर्णय भी ले लिया जाता है अतः इस स्थान पर वैसे रंग का प्रयोग किया जाए जो घर के सभी सदस्यों को जोड़ने तथा कोई भी निर्णय लेने में सहायक हो। भोजन के कमरा में हल्का हरा, गुलाबी, आसमानी या पीला रंग शुभ फल देता है।
* पूजा घर में बैंगनी, गुलाबी, नीला रंग करना शुभ होता है, इससे एकाग्रता बढ़ती है। ध्यान में बैठने के लिए अच्छे वातावरण का निर्माण होता है।
* रसोईघर में सबसे अच्छा रंग सफेद होता है। इससे पवित्रता एवं सफाई बनी रहती है। रसोई में किसी भी स्थिति में लाल रंग नहीं करना चाहिए। लाल रंग होने पर परिवार में विवाद होते हैं।
* वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी भवन में गृहस्वामी का शयनकमरे तथा तमाम कारखानों, कार्यालयों या अन्य भवनों में दक्षिणी-पश्चिम भाग में जो भी कमरे हो, वहां की दीवारों व फर्नीचर आदि का रंग हल्का गुलाबों अथवा नींबू जैसा पीला हो, तो श्रेयस्कर रहता है। गुलाबी रंग को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह आपसी सामंजस्य तथा सौहार्द में वृद्धि करता है।
* बच्चों के शयनकक्ष का रंग हल्का नीला, हल्का हरा या हल्का स्लेटी होना शुभ होता है। बच्चे पढ़ते समय बोझिल नहीं होते। सफेद रंग से बच्चों में अध्ययन करते समय जल्दी सुस्ती छा जाती है।
* स्नानघर का रंग हल्का ग्रे, सफेद या हल्का नीला रख सकते हैं।
* भवन की बाहरी दीवारों का रंग अपनी इच्छानुसार रख सकते हैं बाहरी दीवारों पर भड़कीले रंगों का प्रयोग भी किया जा सकता है।