गीता का अध्ययन कलयुग में जरूरी है, जानिए गीता जयंती का महत्व
गीता जयंती के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ किया जाता है. घरों और मंदिरों भगवान कृष्ण और श्रीमद्भगवद्गीता की पूजा की जाती है. इस मौके पर कई लोग व्रत भी रखते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) को गीता जयंती मनाई जाती है.गीता जयंती का सनातन धर्म में एक खास महत्व होता है.आज यानि कि 14 दिसंबर को गीता जयंती को मनाया जा रहा है. श्रीमद्भगवद्गीता के प्रत्येक श्लोक में ज्ञान का अनूठा प्रकाश है. इस दिन भगवान विष्णु और कृष्ण की खास रूप से पूजा-अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं इस पावन दिन पर भक्त उपवास भी रखते हैं. इतना ही नहीं ये भी मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता के उपदेश दिए थे.
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने जो भी अर्जुन को उपदेश दिए थे वो आज एक दम सटीक बैठते हैं. आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) का दिव्य उपदेश दिया था, इसका उद्देश्य युगों-युगों तक मानवमात्र का कल्याण करना था.
आपको बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली गीता का कलयुग बहुत ही महत्व है. गीता जयंती को कुरुक्षेत्र के अलावा अलग अलग मंदिरों और घरों में खास रूप से भक्त मनाते हैं और घरों में हरिगीता का पाठ भी करते हैं. इतना ही नहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने, उन्नति एवं सर्वांगीण विकास के लिए यज्ञ एक सर्वोच्च साधन है. आइए जानते हैं कि कलयुग में भी गीता अनुसार कर्म करना क्यों जरूरी है?
गीता में बताया गया है कर्म
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिभर्वति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।। (4.7-8)
इसका अर्थ है कि भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे भरतवंशी! जब भी धर्म का नाश होगा और अधर्म की प्रधानता होने लगती है, तब-तब मैं इस संसार में अवतार लेता हूं. अपने भक्तों का उद्धार करने, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना के लिए मैं हर एक युग में अवतार लेता हूं.
कलयुग श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए उपदेशों की हर किसी को आवश्यकता होती है. आज अर्जुन की तरह से ही अनेकों भक्त जीवन में संकट को झेल रहे हैं. उसका संकट महाभारत के युद्ध से कम भी नहीं. इतना ही नहीं कहा जाता है कि जो भक्त हर रोज हरिगीता के 14 वें अध्याय का पाठ करता है उस पर प्रभु अपनी कृपा करते हैं. बता दें कि गीता को गीतोपनिषद के नाम से भी जाना जाता है. गीता के उपदेशों को आत्मसात और अनुसरण करने पर समस्त कठिनाईयों और शंकाओं का निवारण होता है.