हनुमान जी और शनिदेव की कथा: हनुमान जी ने शनि देव के अहंकार को ऐसे किया दूर, जाने कथा
शनि देव के बारे में कहा जाता है कि वे हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं. यही कारण है कि शनि की दृष्टि से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Story Of Shani: शनि देव के बारे में कहा जाता है कि वे हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं. यही कारण है कि शनि की दृष्टि से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है. लेकिन कभी आपने विचार किया है कि आखिरी क्यों शनि देव, हनुमान भक्तों को परेशान करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं?
एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया हुआ है कि वे उनके भक्तों को कभी परेशान नहीं करेंगे. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में-
हनुमान जी और शनिदेव की कथा (Shani Hanuman Katha)
एक बार शनि देव को अपनी शक्ति पर अपार घमंड हो गया है. शनि देव को लगने लगा कि उनसे शक्तिशाली कोई भी नहीं है. उनकी दृष्टि मात्र से ही व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल शुरू हो जाती है. शनि देव इसी मद में चूर होकर ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां पर हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम की साधना में लीन थे.
हनुमान जी पर जब पड़ी शनि देव की दृष्टि
भगवान श्रीराम की भक्ति में डूबे हनुमान जी को देख शनि देव ने उन पर अपनी वक्र दृष्टि डाली. लेकिन कोई प्रभाव नहीं हुआ. इससे क्रोधित होकर शनि देव ने हनुमान जी को ललकारते हुए कहा कि हे वानर, देख कौन सामने आया है? हनुमान जी ने शनि देव पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपनी भक्ति में लीन रहे. शनि देव ने सभी प्रयास कर लिए, लेकिन हनुमान जी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो शनि देव का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया. तनाव और गुस्से में आकर शनि देव ने एक बार फिर प्रयास किया और कहा हे वानर, आंखें खोल. मैं शनि देव तुम्हारी सुख-शांति को नष्ट करने आया हूं. इस संसार में ऐसा कोई नहीं, जो मेरा सामना कर सके. शनि देव को ये विश्वास था कि ऐसा करने से हनुमान जी भयभीत हो जाएंगे और क्षमा मांगेगे. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. बहुत प्रयास करने पर हनुमान जी ने बहुत ही सहज भाव से पूछा कि महाराज आप कौन हैं? इस बात को सुनकार शनि देव को और क्रोध आ गया. शनि देव, हनुमान जी से बोले अभी इसी समय में मैं तुम्हारी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूं, तब समझ में आएगा कि मैं कौन हूं. इस बार भी हनुमान जी ने शनि देव से कहा कि आप कहीं और जाएं, और उन्हें अपने प्रभु का स्मरण करने दें, विघ्न न डालें.
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शनि देव को हनुमान जी ने ऐसे सिखाया सबक
शनि देव को हनुमान जी की ये बात कतई पसंद नहीं और ध्यान लगाने जा रहे, हनुमान जी की भुजा पकड़ी ली और अपनी तरफ खींचने लगे. हनुमान जी को लगा, जैसे उनकी भुजा को किसी ने दहकते अंगारों पर रख दिया हो. उन्होंने तुरंत एक झटके से अपनी भुजा शनि देव की पकड़ से छुड़ाया. इसके बाद शनि ने विकराल रूप धारण उनकी दूसरी बांह को पकड़नी की कोशिश की तो हनुमान जी को हल्का सा क्रोध आ गया और उन्होनें अपनी पूंछ में शनि देव को लपेट लिया. शनि देव का अहंकार और क्रोध तब भी कम नहीं हुआ. शनि देव ने हनुमान जी से बोले, तुम तो क्या तुम्हारे प्रिय श्रीराम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. इस पर हनुमान जी को अत्यंत क्रोध आ गया और पूंछ में लपेट कर शनि देव को पहाड़ों पर वृक्षों पर खूब उठा-उठा कर पटका और रगड़ा. इससे शनि देव का हालत खराब हो गई.
शनि देव ने मांगी देवताओं से मदद
शनि देव ने मदद से मदद मांगी और रक्षा करने के लिए कहा. लेकिन कई भी देवता मदद के लिए आगे नहीं आया. अंत में शनि देव को अपनी गलत का अहसास हुआ और बोले, दया करें वानरराज. मुझे अपनी उद्दंडता का फल मिल गया. मुझे क्षमा करें. भविष्य में आपकी छाया से भी दूर रहूंगा. तब हनुमान जी बोले मेरी छाया ही नहीं मेरे भक्तों की छाया से भी दूर रहने का वचन देना होगा. शनि देव ने हनुमान जी को ऐसा ही वचन दिया. इसीलिए शनि देव हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करते हैं.