श्रीकृष्ण जन्माष्टमी छह सितंबर को इस बार बन रहे विशेष संयोग

Update: 2023-09-02 09:35 GMT
हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी छह सितंबर को मनाई जा रही है, जिसके चलते बड़ा संयोग बन रहा है। पर्व की तैयारियां जोरों से शुरू हो गई है और घरों से लेकर मंदिर भी सजाए जाने लगे हैं। विशेषतौर पर महिलाओं में उत्साह बना हुआ है।
 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ,Shri Krishna Janmashtami,
देवकी मां के गर्भ से श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था
ज्योतिषाचार्य डॉ रामराज कौशिक के अनुसार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि के समय देवकी मां के गर्भ से श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भक्त व्रत रखकर रात्रि 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करते हैं और रातभर भजन कीर्तन करते हैं। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी छह सितंबर बुधवार को मनाई जाएगी। श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि अष्टमी नक्षत्र रोहिणी, राशि वृषभ और दिन बुधवार बताई गई है।
इस लिहाज से इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष है, क्योंकि इस बार कान्हा का जन्मोत्सव बुधवार को ही मनाया जा रहा और भगवान श्रीकृष्णा के जन्म समय के दिन, नक्षत्र, चंद्रमा आदि की वही स्थिति इस बार छह सितंबर को बन रही है,जो उनके जन्म के समय थी। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस दिन लड्डू गोपाल को पीले रंग के नए वस्त्र पहनाएं। उनका श्रृंगार करें, बांसुरी और मोर पंख चढ़ाएं। पालने में रखकर लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं। फल में खीरे का भोग जरूर लगाएं। इसके साथ ही जन्माष्टमी पर खासकर पंजीरी का भोग लगाया जाता है।
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और शुभ मुहूर्त
कौशिक के अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत छह सितंबर को सुबह 09:20 बजे हो रही है और इस नक्षत्र के समय का समापन सात सितंबर सुबह 10:25 बजे हो रहा है। इसलिए जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त छह सितंबर बुधवार रात 11.57 से अगले दिन सुबह 12:42 बजे तक है। इस दिन मध्यरात्रि का क्षण रात 12.02 बजे है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि
जिस तरह एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है, उसी तरह जन्माष्टमी के व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से हो जाती है। सप्तमी तिथि के दिन से ही तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली आदि का त्याग कर देना चाहिए और सात्विक भोजन करने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान व ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये। मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन आप फलाहार और जलाहार व्रत रख सकते हैं लेकिन सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक निर्जल रहना होता है। व्रत के दौरान सात्विक रहना चाहिए। वहीं शाम की पूजा से पहले एक बार स्नान जरूर करना चाहिए।
Tags:    

Similar News

-->