शनि जयंती पर बन रहा विशेष सिद्धि योग, इन उपायों से करें शनि देव को प्रसन्न

प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था, इसलिए हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है।

Update: 2022-05-23 03:37 GMT

 प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था, इसलिए हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव सभी को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को शनि देव की कृपा बनी रहती है। वैसे तो शनिदेव न्यायप्रिय देवता हैं लेकिन इसके विपरीत बुरे कर्म करने वालों को शनिदेव दंड देते हैं। शनि की कुदृष्टि के दौरान जातक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनिदेव को न्याय प्रिय देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाते हैं। हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 30 मई को है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन का काफी महत्व है। शनि देव को दंडाधिकारी कहा जाता है, चूंकि न्याय प्रिय देवता को भगवान शिव की कृपा से न्याय के देवता का अधिकार मिला हुआ है। ज्योतिषविदों के अनुसार शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से बचने के लिए शनि को प्रसन्न रखना अति आवश्यक है। शनि देव महाराज की कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवार के दिन विशेष पूजा की जाती है। हिंदू धर्म के शास्त्रों के मुताबिक शनि के प्रकोप से कारोबार में हानि होती है। मानव जीवन में उथल-पुथल मच जाती है।

शनि जयंती का विशेष सिद्धि योग

ज्येष्ठ मास की अमावस्या 29 मई को दोपहर 2:54 से ही लग जाएगी, लेकिन उदया तिथि के कारण शनि जयंती 30 मई दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इसी दिन सुकर्मा योग है, इसी के साथ इसी दिन प्रातः काल से ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी है, शनिदेव की पूजा के दिन अभिजीत मुहूर्त भी है। सर्वार्थ सिद्धि योग पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए अति शुभ माना जाता है। कुलमिलाकर यह दिन बेहद शुभ है। शनि जयंती के दिन प्रातः 07:12 मिनट से पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। वहीं सुबह से ही रात 11: 39 मिनट तक सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। 30 मई के दिन ही वट सावित्री के साथ शनि जयंती व सोमवती अमावस्या भी है।

शनि जयंती पर करें ये उपाय

शनि जयंती के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिदेव की मंत्र 'ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:' का जाप करें।

शनि जयंती के दिन प्रातः स्नान के बाद पीपल के वृक्ष पर जल जरूर अर्पित करें।

शनि दोष की शांति के लिए रोजाना महामृत्युंजय मंत्र या 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें।

इसके साथ ही यदि आप सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं तो शनिदेव की कृपा बनी रहती है।

शनि जयंती के दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए सभी लोग व्रत जरूर रखें।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा का भी विधान होता है।

शनि जयंती के दिन शनि पूजा के बाद काली चीजों जैसे उड़द की दाल, काला कपड़ा, काले तिल और काले चने का दान करें।

शनि जयंती के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से गृह क्लेश से शांति मिलेगी और आपके कारोबार में वृद्धि होगी।


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