महाभारत से जुडी कुछ अनसुनी बातें जिनसे हम आज तक है अनजान

Update: 2023-06-30 13:59 GMT
महाभारत को विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य कहा जाता हैं। आप लोगों ने कई बार टीवी पर महाभारत को देखा होगा लेकिन आज भी इसके कितने रहस्य हैं जो हमें नहीं पता हैं। आपको इसकी कितनी ही कहानियों के बारे में पता होगा लेकिन आज भी इतनी कहानियाँ हैं जिनसे हम अनजान हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही महाभारत की कहानियाँ जो बहुत ही कम लोग जानते हैं। तो आइये जानते हैं उनके बारे में।
* द्रोणाचार्य के जन्म की कहानी :
द्रोणाचार्य को भारत का पहले टेस्ट ट्यूब बेबी माना जा सकता है। यह कहानी भी काफी रोचक है। द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे और उनकी माता एक अप्सरा थीं। दरअसल, एक शाम भारद्वाज शाम में गंगा नहाने गए तभी उन्हें वहां एक अप्सरा नहाती हुई दिखाई दी। उसकी सुंदरता को देख ऋषि मंत्र मुग्ध हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु निकला जिसे ऋषि ने एक मिट्टी के बर्तन में जमा करके अंधेरे में रख दिया। इसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ।
* अश्वत्थामा आज भी जिन्दा हैं :
महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था जिसके चलते लाखों लोग मारे गए थे। अश्वत्थामा के इस कृत्य से कृष्ण क्रोधित हो गए थे और उन्होंने अश्वत्थामा को शाप दिया था कि 'तू इतने वधों का पाप ढोता हुआ तीन हजार वर्ष तक निर्जन स्थानों में भटकेगा। तेरे शरीर से सदैव रक्त की दुर्गंध नि:सृत होती रहेगी। तू अनेक रोगों से पीड़ित रहेगा।' व्यास ने श्रीकृष्ण के वचनों का अनुमोदन किया। कहते हैं कि अश्वत्थामा इस शाप के बाद रेगिस्तानी इलाके में चला गया था और वहां रहने लगा था। कुछ लोग मानते हैं कि वह अरब चला गया था। उत्तरप्रदेश में प्रचलित मान्यता अनुसार अरब में उसने कृष्ण और पांडवों के धर्म को नष्ट करने की प्रतिज्ञा ली थी।
* एक वरदान के कारण द्रोपदी बनी थी पांच पतियों की पत्नी :
द्रौपदी अपने पिछले जन्म मैं इन्द्र्सेना नाम की ऋषि पत्नी थी। उसके पति संत मौद्गल्य का देहांत जल्दी ही हो गया था। अपनी इच्छाओं की पूर्ति की लिये उसने भगवान शिव से प्रार्थना की। जब शिव उसके सामने प्रकट हुए तो वह घबरा गयी और उसने 5 बार अपने लिए वर मांगा। भगवान शिव ने अगले जन्म मैं उसे पांच पति दिये।
* एक श्राप के कारण धृतराष्ट्र जन्मे थे अंधे :
धृतराष्ट्र अपने पिछले जन्म मैं एक बहुत दुष्ट राजा था। एक दिन उसने देखा की नदी मैं एक हंस अपने बच्चों के साथ आराम से विचरण कर रहा हे। उसने आदेश दिया की उस हंस की आँख फोड़ दी जायैं और उसके बच्चों को मार दिया जाये। इसी वजह से अगले जन्म मैं वह अंधा पैदा हुआ और उसके पुत्र भी उसी तरह मृत्यु को प्राप्त हुये जैसे उस हंस के।
* हर योद्धा का अलग था शंख :
सभी योधाओं के शंख बहुत शक्तिशाली होते थे। भागवत गीता के एक श्लोक मैं सभी शंखों के नाम हैं। अर्जुन के शंख का नाम देवदत्त था। भीम के शंख का नाम पौंड्रा था, उसकी आवाज़ से कान से सुनना बंद हो जाता था। कृष्णा के शंख का नाम पांचजन्य, युधिष्ठिर के शंख का नाम अनंतविजया, सहदेव के शंख का नाम पुष्पकौ और नकुल के शंख का नाम सुघोशमनी था।
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