लोक कल्याण के माध्यम हैं श्रीराम

Update: 2023-03-30 07:24 GMT

अपनीबात : मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान विष्णु के अवतार लेने के कारणों में भक्तों के मन में आए विकारों को दूर करना, लोक में भक्ति का संचार करना, जन-जन के कष्टों का निवारण और भक्तों के लिए भगवान की प्रीति पा सकने की इच्छा पूरी करना प्रमुख हैं। सांसारिक जीवन में मद, काम, क्रोध और मोह आदि से अनेक तरह के कष्ट होते हैं और उदात्त वृत्तियों के विकास में व्यवधान पड़ता है।

रामचरितमानस में इन स्थितियों का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि, जब-जब धर्म का ह्रास होता है, नीच और अभिमानी राक्षस बढ़ जाते हैं और अन्याय करने लगते हैं, पृथ्वी और वहां के निवासी कष्ट पाते हैं तब-तब कृपानिधान प्रभु भांति-भांति के दिव्य शरीर धारण कर सज्जनों की पीड़ा हरते हैं।

एक भक्त के रूप में तुलसीदास जी का विश्वास है कि सारा जगत राममय है। सारे जगत में चारों ओर राम को देखना भक्ति की पराकाष्ठा है और समदर्शी होकर ऊपर से दिखने वाले विरोधों और उनसे उपजने वाली विपदाओं से उबरने का उपाय भी। संप्रति समानता से ज्यादा अनोखे, अद्वितीय, सबसे अलग, औरों से कुछ हटकर खुद को दिखने-दिखाने का रिवाज जोरों पर है। औरों से अलग होना निश्चय ही बहुमूल्य है, क्योंकि वह नवीनता लाता है। नवीनता मन के लिए रमणीय होती है और इसलिए वह प्रिय भी हो जाती है। उसे समाज में आदर मिलता है और पुरस्कृत भी किया जाता है, परंतु भिन्नता के अति आग्रह या दुराग्रह कुछ कठिन सवाल भी खड़े करने लगते हैं, क्योंकि सिर्फ इसी से जीवन-यात्रा नहीं सधती।

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