Shrai Koti Temple: यहां पत‍ि-पत्‍नी के एक साथ पूजा करने होता है अनर्थ,जानें इस रहस्‍यमयी मंद‍िर के बारें में...

सनातन धर्म में कोई दंपत्ति अगर साथ में पूजा नहीं करते हैं.

Update: 2021-02-24 03:34 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  सनातन धर्म में कोई दंपत्ति अगर साथ में पूजा नहीं करते हैं तो वह पूजा अधूरी मानी जाती है। लेक‍िन हमारे देश ऐसी भी कुछ जगहें हैं जहां इन मान्‍यताओं का कोई वजूद नहीं रहता। क्‍योंक‍ि हम ज‍िस जगह के बारे में आपको बता रहे हैं वहां पति-पत्‍नी के साथ पूजा करने पर सख्‍त पाबंदी है। यही नहीं मान्‍यता यह है क‍ि अगर वहां दपत्ति साथ में पूजा करते हैं तो उनके साथ अनर्थ हो जाता है।

तो यहां स्थित है यह अजीबोगरीब मंद‍िर

हम ज‍िस अजीबोगरीब स्‍थान का ज‍िक्र कर रहे हैं वह एक मंद‍िर है। जो क‍ि शिमला के रामपुर नामक स्थान पर है। यहां पति और पत्नी के एक साथ पूजन या देवी दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन करने पर सख्‍त पाबंदी है। इस मंदिर में दंपत्ति जाते तो हैं लेक‍िन एक बार में एक ही दर्शन करता है। यानी क‍ि यहां पहुंचने वाले दंपत्ति अलग-अलग समय में प्रतिमा के दर्शन करते हैं। इसके बाद भी अगर कोई दंपत्ति मंदिर में जाकर प्रतिमा के दर्शन करता है तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है।
इस नाम से प्रसिद्ध है यह रहस्‍यमयी मंद‍िर
यह रहस्‍यमयी मंद‍िर ह‍िमाचल प्रदेश में श्राई कोटि माता के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने कहा था। कार्तिकेय तो अपने वाहन पर बैठकर भ्रमण पर चले गए। लेक‍िन गणेशजी ने माता-पिता के चक्कर लगाकर ही यह कह दिया था कि ब्रह्मांड तो माता-पिता के चरणों में ही है।
जब रूठ गईं मां और दे द‍िया शाप

इसके बाद कार्तिकेयजी ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए तब तक गणेशजी का विवाह हो चुका था। इसके बाद वह गुस्सा हो गए और उन्होंने कभी विवाह नहीं करने का संकल्प लिया। कार्तिकेयजी के विवाह न करने के प्रण से माता पार्वती बहुत रुष्ट हुई थी। उन्होंने कहा कि जो भी पति-पत्नी यहां उनके दर्शन करेंगे वह एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। इस कारण आज भी यहां पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते है। हालांक‍ि श्राई कोटी में दरवाजे पर आज भी गणेशजी सपत्नीक स्थापित हैं।
ऐसे पहुंचे देवी के इस अनोखे दरबार में
श्राई कोट‍ि पहुंचने के लिए आपको पहले श‍िमला जाना होगा। इसके बाद आप नारकंडा और मश्नु गावं के रास्ते यहां पहुंच सकते हैं। शिमला से माता के मंदिर पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन साधनों का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा शिमला रेल या हवाई मार्गों के द्वारा भी आप माता के दरबार पहुंच सकते हैं। वहीं रेल मार्ग के लिए आप शिमला रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं और हवाई मार्ग के लिए आप चंडीगढ़/दिल्ली एयरपोर्ट से जा सकते हैं।
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