Sharad Purnima 2021: 19 अक्टूबर मंगलवार को है इस खास त्योहार का शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और महत्व

ये हिंदू चंद्र कैलेंडर के अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है. इस बार ये 19 अक्टूबर 2021, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर अवतरित होती हैं.

Update: 2021-10-18 11:52 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शरद पूर्णिमा मानसून के मौसम के अंत का प्रतीक है, इस त्योहार को फसल उत्सव के रूप में माना जाता है. ये हिंदू चंद्र कैलेंडर के अश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को पड़ता है. इस बार ये 19 अक्टूबर 2021, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा.

शरद पूर्णिमा को कुमारा पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा, नवाना पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन राधा कृष्ण, शिव पार्वती, लक्ष्मी नारायण जैसे दिव्य जोड़ों की पूजा की जाती है.
भक्तों की मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर अवतरित होती हैं और अपनी दिव्य कृपा प्रदान करती हैं.
शरद पूर्णिमा 2021: तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर 19:03 से शुरू हो रही है
पूर्णिमा तिथि 20 अक्टूबर को 20:26 बजे समाप्त होगी
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 12:13 तक
चंद्रोदय 17:20
सूर्योदय 06:24
सूर्यास्त 17:47
शरद पूर्णिमा 2021: महत्व
ये वर्ष के दौरान मनाई जाने वाली सभी पूर्णिमा में सबसे शुभ पूर्णिमा है. भगवान कृष्ण सोलह कलाओं के साथ पैदा हुए थे, उन्हें भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार के रूप में पूजा जाता है.
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है और चंद्रमा की किरणें उपचार गुणों के साथ मनुष्य की आत्मा और शरीर को ठीक करती हैं.
चंद्रमा की किरणें अमृत टपकाती हैं. चावल की खीर को पूरी रात चांद की रोशनी में छोड़ दिया जाता है और सुबह इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. ज्योतिषीय मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और इसकी किरणें सभी के लिए फायदेमंद होती हैं.
गुजरात में इसे शरद पूनम कहा जाता है और कई जगहों पर गरबा खेला जाता है. ब्रज में इसे रास पूर्णिमा कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने दिव्य प्रेम का नृत्य महा-रास किया था. ब्रह्म पुराण, स्कंद पुराण, लिंग पुराण आदि में शरद पूर्णिमा का महत्व बताया गया है.
– भक्त जल्दी उठकर स्नान कर पूजा स्थल को साफ-सुथरा कर सजाते हैं.
– मूर्तियों को अधिकतर सफेद कपड़े पहनाए जाते हैं.
– भक्त व्रत रखते हैं.
– भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है. भगवान श्रीकृष्ण और सत्यनारायण देव की भी पूजा की जाती है.
– भक्त शरद पूर्णिमा की कथा का पाठ करते हैं. सत्यनारायण कथा का पाठ भी किया जाता है.
– सफेद फूल, तुलसी के पत्ते, केला और अन्य फल, खीर का भोग लगाया जाता है. दूध, दही, शहद, चीनी, सूखे मेवे से बना चरणामृत प्रसाद का एक हिस्सा है.
– आरती की जाती है.
– ओडिशा में अविवाहित लड़कियां योग्य वर पाने के लिए व्रत रखती हैं.
– शरद पूर्णिमा पर, वो सुबह सूर्य देव का स्वागत कुला नामक नारियल के पत्ते से बने बर्तन, तले हुए धान और सात फलों, नारियल, केला, ककड़ी, सुपारी, गन्ना और अमरूद से करते हैं.
– रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. आरती की जाती है और प्रसाद बांटा जाता है.


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