शनि ही वो ग्रह है जिसे कहा जाता है जैसी करनी वैसी भरनी जानें शनि देव से जुड़ी हुई खास बातें

शनि महाराज सूर्य के पुत्र हैं।

Update: 2022-02-05 02:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शनि ही वो ग्रह है जिसे कहा जाता है 'जैसी करनी वैसी भरनी'। अर्थात शनि का प्रत्येक काल चक्र लगभग 27 सालों में आता है। इन 27 सालों में व्यक्ति जैसा करता है शनि देव अपने काल चक्र में वैसा ही परिणाम देते हैं। अच्छे काम किए जाने पर अपने कार्यकाल में शनि देव मालामाल कर देते है और गलत करने पर राजा से रंक बनाते है।

शनि को ज्योतिष में कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, परिश्रम, तकनीक, तकनीकी कार्य, मशीने, गहन अध्ययन, आध्यात्म, तपस्या, पाचन तन्त्र, हड्डियों के जोड़, लोहा, पेट्रोलियम आदि का कारक माना गया है।
शनि महाराज सूर्य के पुत्र हैं। सूर्य से इनकी पटती नहीं है। इनका रंग काला और दिन शनिवार है। इसकी गति बेहद मंद है। इस कारण समस्त काम मंद गति से ही पूरे होते हैं। बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं।
कुंडली में अगर शनि सही नहीं तो अनावश्यक भय और शत्रु पीड़ा होती है। जमीन-जायदाद के झगड़े, व्यापार में नुकसान, विवाह में अड़चन और प्राकृतिक आपदा होती है। शारीरिक कष्ट खासतौर पर हड्डियों से संबंधित रोग होते हैं।
शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र हैं और इनकी माता का नाम छाया है. शनि को मंदा, कपिलाक्‍क्षा और सौरी के नाम से भी जाना जाता है। शनिवार को पीपल के पेड़ और हनुमान जी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
मकर एवं कुम्भ राशि वालों पर शनिदेव की बड़ी कृपा होती है। इसलिए इन राशि वालों को शनि की साढ़े साती में भी लाभ हो सकता है।


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