Shani Dev: शनि की दृष्टि से भगवान शिव भी नहीं बच पाए थे, जानें शनि देव की कथा
शनि की दृष्टि से कोई नहीं बच पाता है. यहां तक कि स्वयं भगवान शिव को भी शनि की दृष्टि का शिकार होना पड़ा था. क्या थी ये कथा आइए जानते हैं-
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Mahima Shani Dev Ki: 04 सितंबर 2021, शनिवार का दिन है. शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है. इस दिन शनि देव की पूजा का विशेष योग बन रहा है. इस दिन पुष्य नक्षत्र है, जिसके स्वामी शनि देव ही हैं. इसके साथ ही भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. इस से प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि होने के कारण इसे शनि प्रदोष कहा जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन शनि देव और भगवान शिव की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है. शनि देव के बारे में ऐसा माना जाता है कि शनि की दृष्टि से मनुष्य, प्रेत और देवता भी नहीं बच सकते हैं. भगवान शिव को भी एक बार शनि की दृष्टि का शिकार होना पड़ गया था.
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शनि देव भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर पहुंचे. भगवान शिव को देखकर शनि देव ने प्रणाम किया और आने का कारण बताया है. शनि देव ने भगवान शिव को बताया," हे भोलेनाथ! मैं कल आपकी राशि में प्रवेश करने जा रहा है. जिस कारण मेरी वक्री दृष्टि आप पर पड़ने वाली है. भगवान शिव ने शनि देव से कहा, परेशान न हो, शनि देव. आपकी दृष्टि कब तक मुझ पर रहेगी. इस प्रश्न का उत्तर देते हुए शनि देव बोले,"प्रभु! सवा प्रहर के लिए मेरी वक्री दृष्टि आप पड़ने वाली है. शनि देव की बात को सुनकर, भगवान शिव इस दृष्टि से बचने के बारे में विचार करने लगे. अगले दिन शिवजी मृत्युलोक पधारे. और शनि की दृष्टि से बचने के लिए हाथी का रूप धारण कर लिया. सवा प्रहर तक भगवान शिव हाथी के रूप में ही विचरण करते रहे. इसके बाद भगवान शिव वापिस कैलाश पर्वत आ गए. जैसे ही वे कैलाश पर्वत पहुंचे, तो पाया कि शनि देव उनका इंतजार कर रहे हैं. शिव जी ने शनि देव को देखकर तुरंत ही कहा, देखा शनि देव, आपकी दृष्टि का मुझ पर कोई प्रभाव नहीं हुआ.
शनि देव ने इस बात को सुनकर हाथ जोड़कर कहा प्रभु, मेरी दृष्टि से कोई नहीं बच सकता है. मनुष्य, दानव और देवता भी नहीं, इसीलिए आप भी मेरी दृष्टि से नहीं बच पाए. इस बात को सुनकर शिव जी अचरज में पड़ गए और बोले कि ये आप क्या कह रहे हैं शनि देव, तब शनि देव में कहा प्रभु मेरी ही दृष्टि के कारण आपको सवा प्रहर के लिए देव योनी को छोड़कर, पशु योनी में जाना पड़ा. यही मेरी दृष्टि का प्रभाव था. शनि देव की इस बात को सुनकर, भगवान शिव ने शनि देव को गले से लगा लिया और आशीर्वाद प्रदान किया. शनि भगवान शिव के आशीर्वाद से ही नवग्रहों के न्यायाधीश कहलाते हैं.