Sawan Special: इस सावन भोलेनाथ को ऐसे जलाभिषेक से करें प्रसन्न

Update: 2024-07-15 18:22 GMT
भगवान शिव को समर्पित सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। इस पूरे माह में Shiv Bhakt भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिये तरह-तरह से शिव की पूजा-आराधना करते हैं। कोई व्रत रखता है तो कोई कांवड़ यात्रा पर निकल पड़ता है। शिव कृपा पाने का सबसे आसान तरीका शिवलिंग पर जलाभिषेक करना माना जाता है। जलाभिषेक के बिना शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है।
मान्यता है कि शिव को सावन का महीना और जल की धारा दोनों अत्यंत प्रिय है। हिंदू धर्म के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। यह दिन शिव पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। इसी कारण सावन के माह में आने वाले सोमवार को की कई शिव पूजा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
जलाभिषेक के हैं कुछ नियम
सावन के पूरे माह और विशेष रूप से सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने से साधक को शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि कई भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम नहीं जानते जिससे पूजा में कमी रह जाती है। यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक के सही नियम के बारे में जानकारी दी जा रही है जिससे इस सावन माह में साधक सही नियम के साथ शिव आराधना का पुण्य प्राप्त कर सकें।
जल चढ़ाने मात्र से भोलेनाथ हो जाते हैं प्रसन्न
हिंदू धर्म में भगवान शिव को भोलेनाथ कहा गया है क्योंकि वे आसानी से खुश हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। श्रद्धा भाव से शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसा देते हैं। लेकिन, शिवलिंग की पूजा का भी अपना नियम है। आइए जानते हैं शिवलिंग की पूजा विधि और जरूरी नियम।
शिव को अति प्रिय है गंगा जल
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को गंगा जल, बेल पत्र, धतूरा, सफेद फूल आदि बहुत प्रिय हैं। गंगाजल चढ़ाते समय साधकों को ध्यान रखना चाहिये कि तांबे के लोटे का ही प्रयोग करें। प्लास्टिक के बर्तन से गंगाचल न चढ़ायें। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को सफेद रंग प्रिय है अत: शिव आराधना करते समय सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करें। काले या गहरे रंग के कपड़े न पहने।
जलाभिषेक के बिन अधूरी है शिव आराधना
शिवलिंग की पूजा करने से पहले तन और मन की शुद्धता का ख्याल अवश्य रखें। हमेशा बैठकर जलाभिषेक करें। मान्यता है कि उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही जलाभिषेक करना चाहिये। यदि मंदिर जाकर जल चढ़ाने वाले हैं तो कोशिश करें कि घर से लोटा और जल ले जायें।
सबसे पहले भगवान गणेश को चढ़ता है जल
शिवलिंग का जलाभिषेक करते हुये सबसे पहले लोटे से जल जलहरी के दाईं ओर चढ़ाएं जहां भगवान गणेश का स्थान माना गया है। इसके बाद शिवलिंग के बाईं ओर जल चढ़ाएं जहां भगवान कार्तिकेय का स्थान माना जाता है। इसके बाद जलहरी के बीच में, जहां भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी का स्थान माना जाता है, जल चढ़ाया जाता है। अशोक सुंदरी के बाद जलहरी के गोल वाले भाग में जल चढ़ाया जाता है। इसे मां गौरी का स्थान माना जाता है। सबसे आखिरी में Shiva Ling पर जल चढ़ायें। ऐसा करते समय जल्दबाजी न करें बल्कि धीरे-धीरे जल चढ़ाएं।
Tags:    

Similar News

-->