Sawan Shivratri : कब है शिवरात्रि, जानें तिथि, मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व
यह सावन का पावन महीना चल रहा है। इस महीने भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।यह सावन का पावन महीना चल रहा है। इस महीने भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि जो कोई भक्त सावन के महीने में सच्चे मन से महादेव की आराधना करता है उसकी सारी मुरादें पूरी होती हैं। शिवजी की आराधना के लिए सावन में सोमवार व्रत का महत्व तो है ही साथ ही इस महीने की मासिक शिवरात्रि भी अहम मानी जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन सावन शिवरात्रि मनाई जाती है। शिवरात्रि पर शिव भक्त पूरे दिन उपवास रखकर शिवजी का आराधना करते हैं। इस दिन शिवलिंग पर गंगा जल से अभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन शिवरात्रि को बहुत ही शुभफलदायी माना जाता है। इस साल सावन शिवरात्रि 6 अगस्त 2021 शुक्रवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ को कैसे प्रसन्न करें।
सावन शिवरात्रि जलाभिषेक मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि आरंभ- 06 अगस्त दिन शुक्रवार शाम को 06 बजकर 28 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 07 अगस्त 2021 को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर
सावन शिवरात्रि व्रत विधि
शिवपुराण में बताया गया है कि शिव भक्तों को मासिक शिवरात्रि पर उपवास और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भोले भंडारी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। शिवरात्रि पर सुबह जल्दी स्नान करने के बाद पास के शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की विधिवत आराधना करनी चाहिए। शिव पूजा में प्रयोग की जानी वाली सभी तरह की सामग्रियों को भोलेभंडारी को अर्पित करें। अगले दिन अपना व्रत तोड़कर शिव पूजा संपन्न हो जाती है।
सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन शिवरात्रि पर भगवान शंकर पर जलाभिषेक किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस प्रमुख शिव मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ किया जाता है। गंगाजल से शिवलिंग पर जलाभिषेक कर हर तरह की मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लिया जाता है। मान्यता है जो भी शिवभक्त सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ का जलाभिषेक करता है उसकी सभी तरह की इच्छाएं जरूर पूरी होती है।
सावन शिवरात्रि के उपाय
सावन मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव को भांग धतूर ,बेलपत्र और गंगा जल अर्पित करें। इसीलिए जो इस माह में शिव पर गंगाजल चढाते हैं, वे देव तुल्य होकर जीवन मरण के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। मानशिक परेशानी, कुंडली में अशुभ चन्द्र का दोष, मकान-वाहन का सुख और संतान से संबधित चिंता शिव आराधना से दूर हो जाती है। इस माह में सर्पों को दूध पिलाने कालसर्प-दोष से मुक्ति मिलती है और उसके वंश का विस्तार होता है। ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवायका जप करते हुए शिव आराधना करें।