Sawan Mangla Gauri Vrat 2024 Udyapan: जानें मंगला गौरी व्रत का उद्यापन, पूजा विधि, सामग्री, और महत्व

Update: 2024-08-12 05:53 GMT
Sawan Mangla Gauri Vrat 2024 Udyapan: धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से जीवन मे आ रही सभी बाधा प्रकार की बाधा दूर होती हैं. सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं आपने वेवाहिक जीवन में खुशहाली, पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने की इच्छा से करती है. अगर किसी महिला हो पुरुष पर किसी भी प्रकार का कोई भी दोष हो जैसे या विधवा दोष हो, या मंगलदोष हो, या विवाह दोष हो, या विवाह में देरी हो रही है, तो उस व्यक्ति को मंगलागौरी व्रत अवश्य करना चाहिए.
मंगला गौरी व्रत का महत्व Mangla Gauri Vrat Significance
शास्त्रों के अनुसार, सावन के महीने में मनाए जाने वाला मंगला गौरी व्रत विशेष और मंगलकारी माना जाता है. इस व्रत को जहां विवाहित महिलाए अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए करती हैं. वहीं कुंवारी लड़कियां भगवान शिव जैसे आदर्श पति पाने के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि जिन लोगों के विवाह में देरी का सामना करना पड़ रहा हो उसे सावन में इस व्रत का पालन करना चाहिएं.
मंगला गौरी व्रत पूजा सामग्री Mangla Gauri Vrat Pooja Samagri
मंगला गौरी व्रत में पूजन के लिए विशेष सामग्री की तैयारी की जाती है. इसमें मां की पूजा षोडशोपचार से की जाती है और प्रत्येक सामग्री भी 16 की मात्रा में अर्पित करना होता है. जैसे माला 16 मिठाई, 16 चूड़ीयां, 16 श्रृंगार सामग्री, लॉन्ग, इलायची, सुपारी, पान, सभी 16 की मात्रा में हो. पांच प्रकार के मेवे , सात प्रकार के अनाज , मां के लिए नए वस्त्र और आटे का दीपक जिसमें 16 बत्तियां आ सके.
मंगला गौरी व्रत उद्यापन विधि Mangla Gauri Vrat Udyapan Vidhi
मंगला गौरी व्रत के दिनसुबह जल्दी उठें स्नान के बाद लाल वस्त्र पहने. उद्यापन के दिन व्रत भी रखें और साथ में पूजा भी करें. एक लकड़ी का खंभा स्थापित करें और उसके चारों ओर केले के पत्ते बांध दें. कलश स्थापित करें और उस पर मंगल गौरी की मूर्ति रखें. मां पार्वती को सुहाग का सामान, वस्त्र, नथ आदि चढ़ाकर पूजा करें.हमेशा की तरह मंगला गौरी के व्रत की कथा सुनें. पूजा के दौरान भगवान गणेश का ध्यान करें, ‘श्रीमंगलगौरीयै नम:’ मंत्र का जाप करें और अंत में सोलह दीपकों से आरती करें. उद्यापन के बाद पुजारी और 16 विवाहित महिलाओं को भोजन कराएं. सावन में आखिरी बार मंगला गौरी का व्रत करने के बाद उस दिन अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर हवन व्रत करें. कुंवारी लड़कियां अपने माता पिता के साथ बैठकर हवन करें.
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