संकष्टी चतुर्थी आज, जानें किसके लिए रखते हैं ये व्रत और क्या है इसकी कहानी?

व्रत और क्या है इसकी कहानी?

Update: 2023-09-03 12:08 GMT
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता का स्थान प्राप्त है. हर माह की चतुर्थी तिथि गणपति की पूजा के लिए सर्वोत्तम मानी गई है. आज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है जिसे संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन जो भी भक्त भगवान श्री गणेश को लिए व्रत रखता है और पूरे विधि विधान से पूजा करता है उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश की पूजा- अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं.
इस साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 सितंबर की रात 8 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी और 3 सितंबर की शाम 6 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी. पंचांग के अनुसार इस साल संकष्टी चतुर्थी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा.
किसके लिए रखते हैं व्रत ?
संकष्टी चतुर्थी का व्रत सुख समृद्धि प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है. ऐसी मानयता है कि जो इस व्रत को रखता है उसके जीवन में सुख, शांती और समृद्धि की प्राप्ति होती है, जीवन में आ रहीं सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. इस दिन प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है. आज के दिन भगवान श्री गणेश के पंच मुखी हेरम्ब रूप की पूजा करने का विधान है जिसमें गणपति शेर पर बैठे नजर आते हैं.
मान्यता है कि जो भी भक्त आज के दिन हेरम्ब रूप में भगवान गणेश की पूजा कर चंद्र देव को अर्घ्य देता है, भगवान उसके सभी कष्ट हर लेते हैं. इस दिन भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए और पूजन के बाद व्रत कथा और आरती जरूर करनी चाहिए . ऐसा करने से विघ्नहर्ता अपने भक्तों के सारे विघ्न हर लेते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.
संकष्टी चतुर्थी की कहानी
सनातन धर्म के पोराणिक कथा के अनुसार एक बार मां पार्वती ने भगवान शिव से चौपाड़ खेलने के लिए कहा और शिव जी भी तैयार हो गए. मगर एक समस्या थी कि वहां कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था जो ये निर्णय ले सके कि कौन जीता और कौन हारा. तब मां ने अपनी शक्ति से एक बालक की मूर्ति बनाई और उसमें जान फूंक दी. फिर शिव जी और माता ने खेल शुरू किया और हर बार मां ने भोलेनाथ को हरा दिया मगर फिर भी अंत में उस लड़के ने भगवान शिव को इस खेल का विजेता बताया. इस बात से मां क्रोधित हो गईं और उस लड़के को लंगड़े होने का श्राप दे दिया. लड़के ने क्षमा याचना की तो माता ने कहा कि इससे वापस नहीं लिया जा सकता. इसका एक उपाय मां ने बताया कि अगर लड़का संकष्टी के दिन यहां आने वाली कन्याओं से व्रत का विधान पूछकर पूरे विधि विधान से व्रत किया तो उसे इस श्राप से मुक्ति मिल जाएगी. उस लड़के ने व्रत किया और भगवान श्री गणेश ने खुस होकर उसके कष्ट हर लिए.
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