Samsaptak Inauspicious: जानें सूर्य और शनि के प्रभाव से बन रहा है समसप्तक अशुभ योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 16 जुलाई दिन शुक्रवार को सूर्य का राशि परिवर्तिन हुआ है।
Samsaptak Inauspicious Yoga: ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 16 जुलाई दिन शुक्रवार को सूर्य का राशि परिवर्तिन हुआ है। सूर्य का गोचर इस समय कर्क राशि में हो रहा है जो कि 17 अगस्त तक रहेगा। सूर्य के इस राशि परिवर्तन से सूर्य की बुध ग्रह के साथ युति समाप्त हो गई है, जिस कारण बुद्धादित्य नामक शुभ योग भी समाप्त हो गया है। लेकिन सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते ही शनि की दृष्टि सूर्य पर पड़ रही है। जिससे समसप्तक नामक एक अशुभ योग का निर्माण हुआ है। इस अशुभ योग का प्रभाव हमारे आपके व्यक्तिगत जीवन पर और देश-दुनिया की गतिविधियों पर नकारात्मक रूप से पड़ेगा। आइए जानते हैं समसप्तक योग और इसके प्रभाव के बारे में...
समसप्तक योग –
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र हैं पर पौराणिक कथा के अनुसार दोनों में परस्पर विद्वेष रहता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में भी इन दोनों ग्रहों को एक दूसरे के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। ये दोनों ग्रह जब एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं तो अमंगल योग का निर्माण करते हैं। उनमें से ही एक योग है समसप्तक योग। समसप्तक योग को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ योग माना जाता है। इसका निर्माण होने पर देश-दुनिया में उथल-पुथल होने की संभावना रहती है।
समसप्तक योग का प्रभाव
सूर्य और शनि का ये समसप्तक योग अशुभ माना जाता है। इस योग के दौरन आपके व्यक्तिगत जीवन और वैश्विक स्तर अनचाही परिवर्तन होते हैं। ये योग आपके जीवन में मानसिक असंतोष, तनाव और भय का वातावरण उत्पन्न करता है। परिवार में भी कलह और विद्वेष उतपन्न हो सकता है। सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। समसप्तक योग होने के कारण देश और दुनिया में भी राजनैतिक अस्थिरता और मौसम या पर्यावरणीय अनियमितता पैदा होती है। इस योग के प्रभाव से बचने के लिए शनिदेव की पूजा करनी चाहिए और शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।