गुप्त नवरात्रि पर शक्ति की साधना के नियम

शक्ति की साधना सभी संकटों से बचाने और सारे मनोरथ को पूरे करने वाली है। इसी शक्ति से जुड़ा महापर्व गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) 02 फरवरी 2022 से प्रारंभ हो रहा है. गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा से जुड़े जरूरी नियम जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Update: 2022-02-02 06:16 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गुप्‍त नवरात्रि (Gupt Navratri) में शक्ति के साधक देवी दुर्गा (Devi Durga) के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, लेकिन देवी के प्रत्येक स्वरूप की पूजा का अलग-अलग फल प्राप्त होता है. देवी के अलग-अलग स्वरूपों की अलग-अलग पूजा पद्धति बताई गई है. ऐसे में साधक को हमेशा अपनी मनोकामना के अनुसार देवी की विशेष पूजा पद्धति को अपनाते हुए साधना करनी चाहिए. शक्ति (Shakti) के तमाम स्वरूपों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है – सात्विक, राजसिक और तामसिक. इसमें माता सरस्वती देवी (Goddess Saraswati) का सात्विक स्वरूप और माता लक्ष्मी (Goddess Laxmi) देवी का राजसिक और माता काली (Goddess Kali) को तामसिक स्वरूप माना जाता है. गुप्त नवरात्रि का समय देवी के इन तीनों स्वरूपों की साधना-आराधना के लिए उत्तम माना गया है. आइए गुप्त नवरात्रि पर शक्ति की साधना से जुड़े जरूरी नियम जानते हैं.

सबसे पहला नियम यह है कि गुप्त नवरात्रि में देवी की साधना पूरी तरह से गुप्त तरीके से करना चाहिए. भूलकर भी की जाने वाली साधना-आराधना का प्रचार या महिमामंडन नहीं करना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि पर शक्ति की साधना हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए. देवी की साधना शुरु करने से पहले प्रतिदिन पूजा से जुड़ी हर चीज को अपने पास रख लें, ताकि पूजा के दौरान आपका ध्यान भंग न हो.
शक्ति की साधना में देवी की साधना हमेशा एक निश्चित समय और एक निश्चित स्थान पर करनी चाहिए. साधना करने के लिए हमेशा अपने आसन का ही प्रयोग करें. कभी भी दूसरे के आसन का प्रयोग बैठने के लिए नहीं करना चाहिए. शक्ति की साधना के लिए लाल रंग का उनी आसन अत्यंत ही शुभ माना गया है.
गुप्त नवरात्रि में शक्ति की साधना के दौरान हमेशा एक निश्चित संख्या में देवी के मंत्र का जप करना चाहिए. कभी भी ज्यादा या कम मंत्र जप नहीं करना चाहिए.
शक्ति की साधना के लिए चंदन की माला को श्रेष्ठ माना गया है. यदि चंदन की माला न मिले तो आप रुद्राक्ष की माला से जप कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि जप हमेशा अपनी माला से करें. भूलकर भी गले में पहनने वाली माला का प्रयोग देवी के जप के लिए न करें.
यदि आप गुप्त नवरात्रि पर धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए साधना करन रहे हैं तो उनके मंत्रों का जप स्फटिक माला या कमलगट्टे की माला से करें.
मां काली की साधना में काले रंग की वस्तुओं का विशेष महत्व होता हैं. ऐसे में माता काली की साधना करने वाले साधक को काले रंग के वस्त्र एवं काले रंग का आसन का प्रयोग करना चाहिए. इसी प्रकार मां सरस्वती के साधक को पीले रंग के वस्त्र एवं पीले रंग का आसन का प्रयोग करना चाहिए.

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