नवरात्रि में शक्ति की साधना के नियम
शक्ति की साधना का महापर्व आज से प्रारंभ हो गया है
शक्ति की साधना का महापर्व आज से प्रारंभ हो गया है. यह जगजाहिर है कि शक्ति की कृपा के बगैर जीवन में कुछ भी संभव नहीं है. मां दुर्गा ही शक्ति की देवी हैं और वह निर्बलों को शक्ति, निर्धन को धन और शरणागत की रक्षा करती हैं. जीवन से जुड़ी सभी प्रकार की विपत्तियों को पल में दूर कर सुख-संपत्ति और आरोग्य प्रदान करने वाली देवी दुर्गा की नवरात्रि में साधना करते समय कुछ नियमों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. आइए जानते हैं नवरात्रि में शक्ति की साधना के 09 जरूरी नियम..
नवरात्रि में देवी दुर्गा की उपासना के लिए मंत्र जप करते समय यदि चंदन माला उपलब्ध हो तो उसी का प्रयोग करें क्योंकि देवी की मंत्र साधना में इसे श्रेष्ठ माना जाता हैं.
यदि आप नवरात्रि में माता लक्ष्मी की उपासना कर रहे हैं तो उनके मंत्रों का जप करने के लिए स्फटिक की माला या कमलगट्टे की माला का उपयोग करें.
नवरात्रि में देवी के मंत्र जप प्रतिदिन नियमित संख्या में करना चाहिए. कभी ज्यादा या कभी कम मंत्र नहीं करना चाहिए. मंत्र जप के लिए दूसरे का आसन प्रयोग न करें और एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान पर ही मंत्र जप करें. बहुत से लोगों को अपने बैठे–बैठे अपने हाथ–पैर हिलाने की आदत होती हैं. ऐसे में देवी के मंत्र का जाप करते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें और अपना शरीर बिल्कुल न हिलाएं।
शक्ति की साधना करने के लिए हमेशा ऊन या कंबल के आसन का उपयोग करना चाहिए. यदि आप नवरात्रि में मां काली की साधना कर रहे हैं तो आपको काले रंग की वस्तुओं का विशेष रूप से प्रयोग करना चाहिए. जैसे काले वस्त्र एवं काले रंग का आसन आदि.
दुर्गा आराधना में अनेक वस्तुओं की आवश्यकता समय-समय पर होती . उन्हें पूर्व में ही एकत्रित करके रख लेना चाहिए.
नवरात्रि में देवी दुर्गा की साधना–आराधना करते समय हमेशा अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए.
नवरात्रि में देवी की आराधना करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और मन में भूलकर भी कामुकता के विचारों को नहीं लाना चाहिए.
नवरात्रि में देवी की जिस स्वरूप की साधना–आराधना कर रहे हैं, उसके स्वरूप का मन ही मन में हर समय ध्यान अवश्य करते रहना चाहिए.
नवरात्रि में शक्ति की साधना का शुभ फल प्राप्त करने के लिए आपको व्रत अवश्य रखना चाहिए. फिर चाहे आप एक दिन रखें या फिर नौ दिन. यदि आप नवरात्रि में नौ दिनों का व्रत रखते हैं तो आप किसी भी पदार्थ का सेवन करने से पहले मां जगदंबे को भोग स्वरूप अवश्य चढ़ाएं.
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(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)