नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह के लिए अलग-अलग रत्नों के बारे में बताया गया है. सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए माणिक धारण करने की सलाह दी जाती है. यह सूर्य का रत्न है. अधिकांश कुंडली में सूर्य कमजोर होने पर माणिक पहनने की सलाह दी जाती है. ऐसे में जानते हैं कि माणिक किस प्रकार अंदर की प्रतिभा को निखरता है. साथ भी इसे धारण निमय और फायदे क्या-क्या हैं.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक माणिक रत्न स्वरुप गहरे गुलाबी रंग का होता है. ये बेहद ऊर्जावान रत्न होता है जो कुंडली के सूर्य के मजबूत बनाता है. साथ ही इंसान के व्यक्तित्व में भी सकारात्मक परिवर्तन होता है. इसके अलावा इस रत्न को धारण करने से जातक की इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. माणिक के प्रभाव से समाजिक प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और यश की प्राप्ति होती है. साथ ही साथ इंसान के अंदर दबी हुई प्रतिभा जाग्रित होने लगती है. जिससे इंसान भयमुक्त होकर कार्य में अच्छा प्रदर्शन करता है. इतना ही नहीं इसे धारण करने से आंख से जुड़ी समस्या, हृदय रोग, हड्डियों से जुड़ी समस्या से निजात मिलने लगता है.
रत्न शास्त्र के जानकार मानते हैं कि जिन लोगों में निराशा, डर, आत्मविश्वास की कमी होती है, उनके लिए माणिक रत्न शुभ साबित होता है. सामान्य रूप से माणिक रत्न मेष, सिंह, धनु और वृश्चिक लग्न के जातकों को पहनना अच्छा माना जाता है. कर्क लग्न के लिए माणिक मध्यम परिणाम देता है. मीन मकर और कन्या लग्न के लिए माणिक नुकसानदेह हो सकता है.
माणिक रत्न सोने या तांबे की धातु में अनामिका उंगली में रविवार के दिन पहनना चाहिए. इसके अलावा लॉकेट के रूप में लाल धागे के साथ गले में भी धारण किया जा सकता है. माणिक धारण करने से पहले इसे गाय के दूध या गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए. इसके बाद सूर्य के मंत्र का जाप करने के बाद ही इसे पहनना चाहिए.