शनिवार व्रत का विधि-विधान और शनिदेव की पूजा-अर्चना

शनिवार का व्रत न्याय के देवता शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है

Update: 2021-11-06 12:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शनिवार का व्रत न्याय के देवता शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. मान्यता है कि शनिदेव कलयुग में न्याय के देवता हैं, यही वजह है कि वे सभी मनुष्यों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. अगर अच्छे कर्म हैं तो शुभ फल और बुरे कर्म हैं तो अशुभ फल. शनि की अगर किसी पर कुदृष्टि पड़ जाए तो राजा भी रंक बन जाता है और अगर शनिदेव किसी पर प्रसन्न हो गए तो उसके जीवन के सारे संकटों को दूर कर देते हैं. शनिदेव के भक्त शनिवार के दिन व्रत कर विधि-विधान से शनिदेव की पूजा-अर्चना  करते हैं. जिन जातकों की कुंडली में शनिदोष होता है वे भी शनिवार का व्रत करते हैं. अगर आप शनिवार का व्रत पहली बार कर रहे हैं तो व्रत करने के कुछ नियम जानना जरूरी हैं. वैसे शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार का व्रत कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन श्रावण मास में शनिवार का व्रत शुरू करने का विशेष महत्व माना गया है.

इस तरह करें शनिवार का व्रत
– शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शीतल जल से स्नान करना चाहिए.
– स्नान के बाद पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करना शुभ माना जाता है.
– व्रत का संकल्प लेकर लोहे से निर्मित शनिदेव प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए.
– शनिदेव की प्रतिमा को चावल से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करना चाहिए.
– व्रत के दौरान शनिदेव का पूजन काले तिल, काले वस्त्र, तेल, फूल आदि से होना चाहिए.
– पूजन के दिन शनिदेव के 10 नामों का उच्चारण करें.
– पूजा पूर्ण होने के बाद पीपल वृक्ष के तने पर सूत के धागे से 7 परिक्रमा करनी चाहिए.
शनिवार व्रत के लाभ
– शनिवार व्रत करने से व्यक्ति की कामनाएं पूर्ण होती हैं.
– शनि पूजन से शनि प्रकोप से सुरक्षा मिलती है. इससे राहु, केतु से भी रक्षा होती है.
– व्रत करन से शनिदेव प्रसन्न होते हैं इससे जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि आती है.
– शनिवार व्रत से परिवार में पुत्र, पौत्र की प्राप्ति होती है.
– सूर्योदय के समय पूजा करने पर व्रत का श्रेष्ठ फल मिलता है


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