हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व, किस वृक्ष को लगाने से क्या मिलता है पुण्य

हिन्दू पंचाग के अनुसार श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या का व्रत व पर्व 8 अगस्त, रविवार को रखा जाएगा

Update: 2021-08-06 12:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  हिन्दू पंचाग के अनुसार श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या का व्रत व पर्व 8 अगस्त, रविवार को रखा जाएगा। स्नान दान के लिए अमावस्या तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है खासतौर पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए हवन, पूजा, श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिये तो अमावस्या श्रेष्ठ तिथि होती है।

क्या है महत्व

नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध,दान, होम और देव पूजा एवं वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में महादेव के पूजन का विशेष महत्त्व है लेकिन हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से उनकी सदैव कृपा बनी रहती है और प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करते हैं। कुंवारी कन्याएं इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इसके अलावा सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्पदोष,पितृदोष और शनि का प्रकोप है वे हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक,पंचामृत या रुद्राभिषेक करें तो उन्हें लाभ होगा। इस दिन शाम के समय नदी के किनारे या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान है।

वृक्षारोपण से मिलता है पुण्य

शास्त्रों में इस दिन वृक्षारोपण का विधान बताया गया है। भविष्य पुराण में उल्लेख है कि जिसको संतान नहीं है उसके लिए वृक्ष ही संतान है। वृक्ष लगाने से वृक्ष में विद्धमान देवी-देवता पूजा करने वालों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। दिन-रात ऑक्सीजन देने वाले पीपल में ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है। पदम् पुराण में कहा गया है कि एक पीपल का वृक्ष लगाने से मनुष्य को सैकड़ों यज्ञ करने से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। पीपल के दर्शन से पापों का नाश, स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति एवं उसकी प्रदिक्षणा करने से आयु बढ़ती है। गणेश और शिव को प्रिय शमी का वृक्ष लगाने से शरीर आरोग्य बनता है। श्री हरि का प्रिय वृक्ष आंवला लगाने से श्री की प्राप्ति होती है।शिवजी की कृपा पाने के लिए बिल्वपत्र अवश्य लगाना चाहिए।अशोक लगाने से जीवन के समस्त शोक दूर होते हैं एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए अर्जुन,नारियल,बरगद(वट) का वृक्ष लगाएं।वहीं संतान की सुख-समृद्धि के लिए पीपल,नीम, बिल्व,गुड़हल और अश्वगंधा के वृक्ष लगाना हितकर होगा। कुशाग्र बुद्धि पाने के लिए आंकड़ा,शंखपुष्पी,पलाश,ब्राह्मी एवं तुलसी लगाना शुभ परिणाम देगा।

हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक औचित्य 

हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है,पर्यावरण को संरक्षित करने की दृष्टि से ही पेड़-पौधों में ईश्वरीय रूप को स्थान देकर उनकी पूजा का विधान बताया गया है।इस पर्व का जितना धार्मिक महत्त्व है उतना ही वैज्ञानिक औचित्य भी है।हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व और धरती को हरी-भरी बनाने का संदेश देती है। पेड़-पौधे जीवंत शक्ति से भरपूर प्रकृति के ऐसे अनुपम उपहार है जो सभी को प्राणवायु ऑक्सीजन तो देते ही हैं,पर्यावरण को भी शुद्ध और संतुलित रखते हैं।आज जब मौसम पूरे विश्व में बदल रहा है तब यह अमावस्या महज़ एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि पृथ्वी को हरी-भरी बनाने का संकल्प पर्व भी है।

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