बुधवार के दिन करें बुध स्तोत्र का पाठ, व्यापार में मिलेगा सफलता
बुधवार का दिन बुध ग्रह को समर्पित है। भारतीय ज्योतिष पद्धति में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी ग्रह को समर्पित होता है। बुधवार के दिन देवताओं के राजकुमार बुध ग्रह के पूजन किया जाता है।
बुधवार का दिन बुध ग्रह को समर्पित है। भारतीय ज्योतिष पद्धति में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी ग्रह को समर्पित होता है। बुधवार के दिन देवताओं के राजकुमार बुध ग्रह के पूजन किया जाता है। बुध ग्रह को ज्योतिषशास्त्र में वाणी, संचार और बुद्धि की कुशलता का ग्रह माना जाता है। इस दिन बुध ग्रह के उपाय करके कुण्डली में स्थापित बुध दोष को दूर कर सकते हैं। बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े पहनने से बुध ग्रह के प्रभाव से वाणी और संचार कुशलता में वृद्धी होगी। जो कि व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है। जिन लोगों की कुण्डली में बुध दोष व्याप्त हो, उन्हें इस दिन बुध स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
बुध ग्रह के इस स्तोत्र का नियमित रूप से हर बुधवार को पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से बुध ग्रह प्रभावी होगा। बुधवार के दिन बुध स्तोत्र का पाठ करने से बुध दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही बुध ग्रह प्रभावशाली होने से संचार और बुद्धि की कुशलता से व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है।
बुध स्तोत्र -
पीताम्बर: पीतवपुः किरीटश्र्वतुर्भजो देवदु: खपहर्ता। धर्मस्य धृक् सोमसुत: सदा मे सिंहाधिरुढो वरदो बुधश्र्व ।।1।।
प्रियंगुकनकश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम्। सौम्यं सौम्य गुणोपेतं नमामि शशिनंदनम ।।2।।
सोमसूनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित:। सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम् ।।3।।
उत्पातरूप: जगतां चन्द्रपुत्रो महाधुति:। सूर्यप्रियकारी विद्वान् पीडां हरतु मे बुध: ।।4।।
शिरीष पुष्पसडंकाश: कपिशीलो युवा पुन:। सोमपुत्रो बुधश्र्वैव सदा शान्ति प्रयच्छतु ।।5।।
श्याम: शिरालश्र्व कलाविधिज्ञ: कौतूहली कोमलवाग्विलासी । रजोधिकोमध्यमरूपधृक्स्यादाताम्रनेत्रीद्विजराजपुत्र: ।।6।।
अहो चन्द्र्सुत श्रीमन् मागधर्मासमुद्रव:। अत्रिगोत्रश्र्वतुर्बाहु: खड्गखेटक धारक: ।।7।।
गदाधरो न्रसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित:। केतकीद्रुमपत्राभ इंद्रविष्णुपूजित: ।।8।।
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्र्व रोहिणेयश्र्व सोमज:। कुमारो राजपुत्रश्र्व शैशेव: शशिनन्दन: ।।9।।
गुरुपुत्रश्र्व तारेयो विबुधो बोधनस्तथा। सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।10।।
एतानि बुध नमामि प्रात: काले पठेन्नर:। बुद्धिर्विव्रद्वितांयाति बुधपीड़ा न जायते ।।11।।