आंवला नवमी पूजा में जरूर पढ़ें ये कथा, जानिए इससे होने वाले फायदे
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है। आज यही तिथि है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है। आज यही तिथि है और आज के दिन लोग आंवला नवमी मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस वृक्ष की पूजा स्वस्थ रहने की कामना के साथ किए जाते हैं। कई जगहों पर आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर ही इस दिन भोजन ग्रहण किया जाता है। माना जाता है कि इससे आयु और आरोग्य में वृद्धि होती है। इस दिन पूजा करने के बाद आंवले को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि अगर इस दिन कोई भी शुभ काम किया जाए तो उससे अक्षय फल की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान आंवला नवमी की कथा भी सुनी जाती है। आइए पढ़ते हैं आंवला नवमी की कथा।
आंवला नवमी की कथा:
आंवला नवमी के दिन एक सेठ ब्राह्मणों को आंवले के पेड़ के नीचे बैठाकर भोजन कराया करते थे। साथ ही उन्हें सोना सदान किया करते थे। यह सब देख सेठ के पुत्रों को अच्छा नहीं लगता था। यह देख वो अपने पिता से बहुत झगड़ा करते थे। रोज-रोज की लड़ाई से तंग आकर वो दूसरे गांव में रहने चला गया। जीवनयापन के लिए उसने वहां एक दुकान लगाई। उसी दुकान के आगे सेठ ने एक आंवले का पेड़ लगाया। कृपा कुछ ऐसी हुई की दुकान खूब चलने लगी।
यहां भी उसने अपना नियम नहीं छोड़ा। वह आंवला नवमी का व्रत-पूजा करता था और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देता था। वहीं, दूसरी ओर सेठ के पुत्रों का व्यापार ठप हो गया। उनके बेटों को समझ आने लगा कि वो अपने पिता के भाग्य से ही खाते थे। अपनी गलती समझकर वे अपने पिता के पास गए और अपनी गलती की माफी मांगने लगे। फिर पिता के कहे अनुसार उन्होंने आंवले के पेड़ की पूजा करनी शुरू की और दान करने लगे। इसके प्रभाव से सेठ के बेटों के घर पहले की तरह खुशहाली आ गई।