हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है। वही बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति की पूजा अर्चना को समर्पित है इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान की विधि पूर्वक पूजा भी करते हैं मान्यता है कि आज के दिन पूजा पाठ करने से बृहस्पति देव की कृपा बरसती है।
लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी देवी देवता की पूजा का पूर्ण फल तब तक नहीं मिलता है जब तक उनकी आरती का पाठ न किया जाए। तो ऐसे में अगर आप गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की व्रत पूजा कर रहे है और उसका पूर्ण फल चाहते हैं तो भगवान की आरती जरूर पढ़ें। मान्यता है कि ऐसा करने से देव प्रसन्न होकर आशीष प्रदान करते हैं और भक्तों के सभी संकट व दुखों को दूर कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए है भगवान बृहस्पति देव की आरती।
भगवान बृहस्पति देव की आरती—
जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
जेष्ठानंद आनंदकर, सो निश्चय पावे ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
सब बोलो विष्णु भगवान की जय !
बोलो बृहस्पतिदेव की जय !!
॥ इति श्री बृहस्पति देव आरती संपूर्णम् ॥