भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन चल रहा हैं और आज सावन का तीसरा सोमवार हैं जो कि शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता हैं इस दिन भक्त उपवास आदि रखते हुए शिव साधना आराधना में लीन रहते हैं सावन सोमवार के दिन शिव मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती हैं।
मान्यता है कि सावन सोमवार के दिन अगर शिव शंकर की विधि विधान से पूजा और व्रत किया जाए तो सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं और शिव कृपा भी बनी रहती हैं ऐसे में अधिकतर लोग आज के दिन व्रत पूजा करते हैं अगर आप भी शिव शंकर की कृपा पाना चाहते हैं तो पूजा पाठ के बार भगवान की आरती जरूर पढ़ें क्योंंकि बिना आरती के कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होती हैं और ना ही इसका फल मिलता हैं, ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान शंकर की प्रिय आरती पाठ।
भगवान शिव की आरती—
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा...॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥