कुबेर भगवान की पूजा करते समय पढ़ें मंत्र और आरती

दीवाली के दिन केवल मां लक्ष्मी की ही नहीं बल्कि कुबेर भगवान की भी पूजा की जाती है।

Update: 2020-11-12 03:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दीवाली के दिन केवल मां लक्ष्मी की ही नहीं बल्कि कुबेर भगवान की भी पूजा की जाती है। कुबेर भगवान को धन के देवता कहा जाता है। मान्यता है कि अगर कुबेर भगवान प्रसन्न हो जाते हैं तो व्यक्ति को रुपये-पैसों और सभी तरह की सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण बना सकते हैं। कुबेर भगवान की पूजा दीवापूरे विधि-विधान के साथ करनी चाहिए। अगर आप दिवाली के दिन कुबेर भगवान की पूजा कर रहे हैं तो आपको कुबेर भगवान को पूजने के लिए एक मंत्र का जाप करना होगा। इस मंत्र का जाप करने से कुबेर भगवान बेहद प्रसन्न हो जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, अगर इस का जाप पूरे श्रद्धा भाव के साथ किया जाए तो भगवान कुबेर व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। पूजा करते समय कुबेर जी की आरती भी गानी चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं कुबेर मंत्र और आरती।

श्री कुबेर मंत्र:

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये।

धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।

श्री कुबेर की आरती:

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,

स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।

शरण पड़े भगतों के,

भण्डार कुबेर भरे।

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,

स्वामी भक्त कुबेर बड़े।

दैत्य दानव मानव से,

कई-कई युद्ध लड़े ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,

सिर पर छत्र फिरे,

स्वामी सिर पर छत्र फिरे।

योगिनी मंगल गावैं,

सब जय जय कार करैं॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,

शस्त्र बहुत धरे,

स्वामी शस्त्र बहुत धरे।

दुख भय संकट मोचन,

धनुष टंकार करें॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,

स्वामी व्यंजन बहुत बने।

मोहन भोग लगावैं,

साथ में उड़द चने॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,

हम तेरी शरण पड़े,

स्वामी हम तेरी शरण पड़े,

अपने भक्त जनों के,

सारे काम संवारे॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,

मोतियन हार गले,

स्वामी मोतियन हार गले।

अगर कपूर की बाती,

घी की जोत जले॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हर साल धनतेरस या धनत्रयोदशी मनाई जाती है।

यक्ष कुबेर जी की आरती,

जो कोई नर गावे,

स्वामी जो कोई नर गावे ।

कहत प्रेमपाल स्वामी,

मनवांछित फल पावे।

॥ इति श्री कुबेर आरती ॥

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