ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन भगवान श्री गणेश को समर्पित द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर साल फाल्गुन मास में मनाई जाती है इस दिन गणपति की विधिवत पूजा का विधान होता है मान्यता है कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है।
पंचांग के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है इस बार यह पर्व 28 फरवरी दिन बुधवार यानी की आज मनाया जाता है इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इस व्रत का महत्व और बढ़ गया है। ऐसे में इस दिन गणपति की विधिवत पूजन के साथ ही अगर श्री गणेश आरती की जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को सुख समृद्धि व सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं साथ ही जीवन की बाधाओं को भी दूर करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान गणेश की आरती।
॥श्री गणेश जी की आरती॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती (माता पार्वती के मंत्र), पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥