Ravana Samhita: व्यापार में हो रहा है नुकसान, रावण संहिता के इन उपायों को आजमाकर देखें
रावण संहिता एक ज्योतिष ग्रंथ है।
रावण संहिता एक ज्योतिष ग्रंथ है। इसे दशानन यानी कि रावण ने स्वयं लिखा था इसलिए इसे रावण संहिता के नाम से जाना गया। इसमें कई समस्याओं के निवारण के लिए ज्योतिषीय और तांत्रिक समाधान मिलते हैं। तो आज हम आपके साथ रावण संहिता में बताए गये कुछ ऐसे ही उपाय शेयर कर रहे हैं। मान्यता है कि ये उपाय व्यापार में लगातार हो रहे घाटे को खत्म करने और असीमित लाभ कमाने के लिए अपनाए जाते हैं।
यह उपाय किसी भी सोमवार को करें
रावण संहिता के अनुसार अगर व्यापार में लगातार हानि का सामना करना पड़ रहा तो किसी भी सोमवार को यह उपाय करें। इसके लिए किसी भी शिव मंदिर जाकर शिवलिंग को धोकर उसपर नागकेसर के पांच पुष्प और पांच बेल पत्र अर्पित करें। ध्यान रखें कि यह प्रक्रिया शुरू तो किसी भी सोमवार से की जा सकती है। लेकिन इसे आने वाली पूर्णिमा तक प्रत्येक सोमवार को करते रहें। अंतिम सोमवार के दिन चढ़ाए गये नागकेसर के पुष्पों और बेलपत्रों में से एक पुष्प और एक बेलपत्र अपने घर ले आएं। इसके बाद उसे अपने कार्यालय में रख दें। मान्यता है कि यह उपाय व्यापार में तरक्की के रास्ते खोल देता है।
नया व्यवसाय शुरू करने जा रहे हैं तो करें ये
रावण संहिता के अनुसार जब भी कोई नया व्यवसाय शुरू करने जा रहे हों तो 4 मिट्टी के कलश ले आएं। उनमें काले तिल, जौ, मूंग और पीली सरसों अलग-अलग भर दें। इसके बाद इन्हें पूरे एक वर्ष तक अपने व्यावसायिक स्थल पर रखें। जब एक वर्ष पूरा हो जाए तो इन कलशों को उठाकर नदी में प्रवाहित कर दें। इसके बाद फिर से चार नए कलश और बताई गई सामग्री उनमें अलग-अलग डालकर व्यावसायिक स्थल में रख दें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातकों को लाभ ही लाभ होता है।
ये उपाय भी दिलाते हैं व्यवसाय में लाभ
रावण संहिता के अनुसार व्यवसाय में लाभ पान के लिए एकाक्षी नारियल ले आएं। इसके बाद उसकी पूजा करके उसे अपने व्यावसायिक स्थल में रख दें। मान्यता है कि ऐसा करने से लाभ होता है। इसके अलावा 12 गोमती चक्र ले आएं और उसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर उसे अपने कार्यस्थल की चौखट पर लटका दें। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यापार में प्रगति होती है। इसके अलावा श्रीयंत्र का उपाय भी कर सकते हैं। ध्यान रखें कि जब भी श्रीयंत्र लाएं उसे कमलगट्टे की मालाव पर रखकर अपने कार्यस्थल में रख दें। इससे व्यापार में उन्नति होती है।
साझेदारी से नुकसान की हो आशंका तो
रावण संहिता के अनुसार अगर कभी साझेदारों से नुकसान या फिर धोखे की आशंका हो तो शनि देव के दस नामों का उच्चारण करना चाहिए। इसमें जय श्री शनि देव, छायात्मज, सौरि, पंगु, यम, कृष्णयम, अर्किमंद, असित, रविज एवं पिप्पलाद नाम का उच्चारण करें। इसके बाद नासिका का जो स्वर चल रहा हो उस ओर का पैर आगे करके अपने कार्यस्थल में प्रवेश करें। मान्यता है कि इससे साझेदारों से हानि या फिर धोखे की संभावना धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। साथ ही सभी एक-दूसरे का सहयोग करने लगते हैं।