रामकृष्ण परमहंस मां काली के भक्त थे उनकी जयंती पर पढ़ें ये अनमोल विचार

रामकृष्ण परमहंस मां काली (Mata Kaali) के सबसे बड़े भक्त थे. आज यानि 4 मार्च दिन शुक्रवार को इनकी जयंती मनाई जा रही है

Update: 2022-03-04 04:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडस्क |  रामकृष्ण परमहंस मां काली (Mata Kaali) के सबसे बड़े भक्त थे. आज यानि 4 मार्च दिन शुक्रवार को इनकी जयंती मनाई जा रही है. इनका जन्म फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को 18 फरवरी 1836 के दिन हुआ था. ब्राह्मण गरीब परिवार में जन्मे रामकृष्ण परमहंस के बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय रखा गया. कुछ लोग रामकृष्ण परमहंस को स्वामी विवेकानंद के गुरु के रूप में भी जानते हैं. आज उनकी जयंती पर उनके विचारों को जानकर आप अपने मन को भगवान की भक्ति में लीन कर सकते हैं. पढ़ते हैं स्वामी रामकृष्ण परमहंस के अनमोल विचार…

भगवान के कई रूप होते हैं, जो उसे अलग-अलग रूप में आकर अपने भक्तों को प्रेरित करते है. यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस रूप में उसे देख रहे हैं. वह आपको उसी रूप में दिखाई देगा, जिस रूप में आपने उसे स्मरण किया है.
तुम ईश्वर की चाहे जैसे प्रार्थना करो, वो उन तक पहुंचती है, ध्यान रखो वो चींटी के कदमों की आहट भी सुन सकते हैं.
भगवान के प्रेमी किसी जाति के नहीं होते.
भगवान तो सबके मन में हैं, लेकिन सबका मन भगवान में नहीं लगा है, इसलिए हम कष्ट और दुर्गति भोगते हैं.
धर्म पर बात करना आसान है, लेकिन उस पर अमल करना मुश्किल.
भगवान के कृपा की हवा तो हमेशा ही बह रही है, ये हमारे हाथ में है कि हम अपनी नाव की पाल चढ़ायें और ईश्वरीय कृपा की दिशा में बढ़ जाए.
अगर एक बार गोता लगाने में तुम्हें मोती न मिले, तुम्हें ये निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि समुद्र में रत्न नहीं होते.
रामकृष्ण जी का कहना था कि हम जिस रूप में भी ईश्वर की प्रार्थना करें, वह उन तक अवश्य पहुंचती है. वो छोटे से छोटे जीवों का भी ध्यान रखते हैं.
जो लोग स्वयं को मुक्त मानते हैं, वे ही बंधनों से मुक्त रहते हैं. मूर्ख लोग ही कहते हैं कि वे बंधनों में बंधे हैं, फिर वे उसमें ही बंधे रहते हैं.


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