सिंतबर माह में इस तिथि को मनाई जाएगी राधाष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह की राधा अष्टमी का काफी अधिक महत्व है। क्योंकि इस दिन राधारानी का जन्म हुआ था। हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है

Update: 2022-08-26 04:44 GMT

 हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह की राधा अष्टमी का काफी अधिक महत्व है। क्योंकि इस दिन राधारानी का जन्म हुआ था। हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है, तो वहीं शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधाष्टमी। इस बार अष्टमी 4 सितंबर 2022, रविवार को पड़ रही है। इस दिन राधा रानी के साथ भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान है। जानिए राधाष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

राधाष्टमी को राधा जयंती के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भक्त देवी राधा की भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते हैं। राधा अष्टमी जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाई जाती है। राधा अष्टमी के अवसरपर, विशेष रूप से उत्तर भारत में भगवान कृष्ण के मंदिरों में विशेष पूजा और प्रार्थना की जाती है। खासकर के मथुरा, वृंदावन, बरसाना आदि में।

राधा अष्टमी 2022 की तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि- 4 सितंबर 2022

अष्टमी तिथि प्रारंभ - 03 सितंबर 2022, शनिवार को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से शुरू

अष्टमी तिथि समाप्त - 04 सितंबर 2022,रविवार को सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक

उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 04 सितंबर को मनाया जाएगा।

राधाष्टमी 2022 की पूजा विधि

राधाष्टमी के दिन भगवान कृष्ण और राधा की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है।

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

पूजा घर में या फिर एक चौकी में राधा-कृष्ण के संयुक्त चित्र या मूर्ति को को स्थापित करें।

सबसे पहले राधा-कृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।

भगवान को फूल, माला, रोली, चंदन, अक्षत , नैवेद्य आदि अर्पित करें।

इसके बाद भोग लगाएं।

भोग के बाद घी का दीपक और धूपक जलाकर मनन करें।

राधा-कृष्ण की स्तुति मंत्रो और भजनों के द्नारा करें।

श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का पाठ करें

अंत में आरती करके भूलचूक के लिए माफी मांग लें।

व्रत का पारण अगले दिन सुहागिन महिला या ब्राह्मणों को भोजन और दान दे कर करना चाहिए।


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