जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Radha Ashtami Worship Method: हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का व्रत रखा जाता है. यह तिथि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद आती है. राधाष्टमी के दिन राधा रानी का जन्म हुआ था. इस दिन विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है. इस साल राधा अष्टमी का पर्व 4 सितंबर को रविवार के दिन मनाया जाएगा. खासतौर से मथुरा, वृंदावन और बरसाने में राधा अष्टमी धूम-धाम से मनाई जाती है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं.
राधा चालीसा का पाठ
इस दिन व्रत और पूजा करने के साथ ही राधा रानी को प्रसन्न करने के लिए श्री राधा चालीसा का पाठ भी करना चाहिए. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि राधा अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी की विधिवत पूजा करने से इंसान की जिंदगी में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है.
अष्टमी का मुहूर्त
राधा अष्टमी की तिथि 3 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी, जो 4 सितंबर सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का त्योहार 4 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहुर्त सुबह 4 बजकर 36 मिनट से सुबह 5 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.
ऐसे करें पूजा
शुभ मुहूर्त से पहले उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहनने चाहिए. पूजा करने की जगह पर एक कलश में जल भरकर रखें और अन्य एक मिट्टी का कलश पूजा के लिए रखें. इसके बाद पूजा के लिए चौकी तैयार करनी चाहिए. चौकी में लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर राधा रानी की प्रतिमा स्थापित करें. उनको पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं. सुंदर वस्त्र व आभूषणों से श्रृंगार करें. दोनों को तिलक लगाकर फल-फूल चढ़ाएं. राधा और कृष्ण के मंत्र का जाप करें और कथा सुनें या पढ़ें और उनकी आरती करें.
न्यूज़ क्रेडिटा: जी न्यूज़