26 मार्च को है प्रदोष व्रत,जानिए शुभ-अशुभ मुहूर्त, नोट कर लें पूजा -विधिं व व्रत नियम

मार्च महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 26 मार्च (शुक्रवार) को है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन व्रत रखा जाता है।

Update: 2021-03-18 07:21 GMT

जनता से रिश्ता विब्डेस्क | मार्च महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 26 मार्च (शुक्रवार) को है। भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन व्रत रखा जाता है। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष कहा जाता है। हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। पहला व्रत शुक्ल पक्ष और दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष को। कहा जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है।

26 मार्च के दिन सूर्य और चंद्रमा का समय-

सूर्योदय - 6:28 AM

सूर्यास्त - 6:36 PM

चन्द्रोदय - Mar 26 4:17 PM

चन्द्रास्त - Mar 27 5:30 AM

प्रदोष व्रत के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

अभिजीत मुहूर्त - 12:08 PM – 12:56 PM

अमृत काल - 07:21 PM – 08:52 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:52 AM – 05:40 AM

प्रदोष व्रत के दिन अशुभ मुहूर्त-

राहुकाल - 11:01 AM – 12:32 PM

यम गण्ड - 3:34 PM – 5:05 PM

कुलिक - 7:59 AM – 9:30 AM

दुर्मुहूर्त - 08:54 AM – 09:42 AM, 12:56 PM – 01:45 PM

वर्ज्यम् - 05:03 AM – 06:32 AM

सुख-सौभाग्य के लिए रखा जाता है शुक्रवार को व्रत-

-सुख-सौभाग्य के लिए- सुख-संपत्ति की कामना के लिए जिस त्रयोदशी के दिन शुक्रवार पड़े, उस दिन से प्रदोष व्रत प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।

-लंबी आयु के लिए- लंबी आयु की कामना के लिए जिस त्रयोदशी के दिन रविवार पड़े, उस दिन से प्रदोष व्रत प्रारंभ करना उत्तम माना जाता है।

-संतान सुख के लिए- संतान प्राप्ति की कामना करने वालों को प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की जिस त्रयोदशी को शनिवार पड़े, उस दिन से व्रत प्रारंभ करना चाहिए।

-कर्ज से मुक्ति के लिए- कर्ज मुक्ति के लिए जिस त्रयोदशी के दिन सोमवार पड़े, उस दिन से प्रदोष व्रत प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।

प्रदोष व्रत के नियम-

1. प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।

2. नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।

3. इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है।

4. गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए।

5. प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

6. इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

7. प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए।

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