Pitru Paksha: ब्राह्मणों की गैरमौजूदगी में पितरों का तर्पण के लिए सरल विधि
Pitru Paksha ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में साल के 16 दिन पितरों को समर्पित होते हैं जिन्हें पितृपक्ष या फिर श्राद्ध पक्ष के नाम से जाना जाता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होकर कृपा करते हैं पंचांग के अनुसार आश्विन माह का कृष्ण पक्ष पितरों को समर्पित होता है।
वहीं पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए इस दौरान उनका तर्पण और पिंडदान जरूर करें। इस बार पितृपक्ष का आरंभ आज यानी 18 सितंबर दिन बुधवार से हो चुका है और इसका समापन 2 अक्टूबर को हो जाएगा। ऐसे में अगर आप ब्राह्माणों की गौरमौजूदगी में पितरों का तर्पण कर रहे हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा सरल और सही विधि के बारे में आपको बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
तर्पण की सरल विधि—
पितृपक्ष के दौरान सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें। अब एक लोटे में जल, पुष्प, कुश, अक्षत और तिल डालकर पितरों को जल अर्पित करें। इसके बाद पितृ मंत्र का जाप करें और पितृ चालीसा का पाठ करें। तर्पण के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें। पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करें। अब उत्तर दिशा की ओर मुख करके जौ और कुश से तर्पण करें। इसके बाद पूजा में होने वाली गलतियों के लिए पूर्वजों से क्षमा जरूर मांग लें। इस दिन अपनी क्षमता अनुसार दान जरूर करें। ऐसा करना उत्तम माना जाता है इसके साथ ही इन मंत्रों का जाप भी जरूर करें।
इन मंत्रों का करें जाप—
1. ॐ पितृ देवतायै नम:
2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
4. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
5. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।