पीपल के पेड़ की पूजा दिलाती हैं चमत्कारिक लाभ, जरूर जानें

Update: 2023-06-11 12:10 GMT
हिन्दू धर्म में पेड़-पौधों और वृक्षों का बड़ा महत्व माना जाता हैं और इनकी पूजा की जाती हैं। क्योंकि माना जाता हैं कि पेड़ों में भगवान का वास होता हैं। इसके चलते हिन्दू धर्म में कई वृक्षों को भगवान् तुल्य पूजन किया जाता हैं। ऐसा ही एक वृक्ष हैं पीपल। खुद भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा था कि वृक्षों में मैं पीपल हूं। आज इस कड़ी में हम आपको पीपल के पेड़ की पूजा करने के चमत्कारिक लाभ के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
- स्कन्द पुराण में वर्णित पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास है। अश्वत्थोपनयन व्रत के संदर्भ में महर्षि शौनक कहते हैं कि मंगल मुहूर्त में पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है। पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है।
- शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा और सात परिक्रमा करके काले तिल से युक्त सरसो के तेल के दीपक को जलाकर छायादान करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के पूजन से शनि पीड़ा से व्यक्ति मुक्त हो जाता है। श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिल जाती है।
- अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। औषधीय गुणों के कारण पीपल के वृक्ष को 'कल्पवृक्ष' की संज्ञा दी गई है। पीपल के प्रत्येक तत्व जैसे छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा एवं कोपल तथा लाख सभी प्रकार की आधि-व्याधियों के निदान में काम आते हैं।
- हिंदू धार्मिक ग्रंथों में पीपल को अमृततुल्य माना गया है। सर्वाधिक ऑक्सीजन निस्सृत करने के कारण इसे प्राणवायु का भंडार कहा जाता है। सबसे अधिक ऑक्सीजन का सृजन और विषैली गैसों को आत्मसात करने की इसमें अकूत क्षमता है। इसके नीचे कभी कभार सोने से ऑक्सीजन की कभी दूर हो जाती है।
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