Paryushan 2021 : जैन समुदाय के पवित्र आयोजन की तिथि..... जानिए समय, महत्व और उपवास

जैन धर्म के लोगों का उत्सव 'पर्युषण' अब बहुत ही समीप है. ऐसे में इसकी तैयारियां पूरे जोरों-शोरों से चल रही हैं. ये पर्व बहुत ही खास तरीके से जैन समुदाय के लोग मनाते हैं.

Update: 2021-09-01 04:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  पर्युषण अब बिल्कुल नजदीक है. इसका अर्थ है रहना और एक साथ आना और जैन समुदाय के लिए ये एक वार्षिक पवित्र कार्यक्रम है. आम तौर पर ये हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में होता है और इस साल ये 4 सितंबर 2021 से शुरू हो रहा है.

अनजान लोगों के लिए, जैन समुदाय में दो क्षेत्र हैं, दिगंबर और श्वेतांबर. दिगंबर इस त्योहार को दास लक्षण कहते हैं और पर्युषण की अवधि 10 दिनों की होती है. इस बीच, दूसरी ओर, श्वेतांबर जैन इस घटना को केवल पर्युषण के रूप में रेफर करते हैं और उनकी अवधि केवल 8 दिनों की होती है. संवत्सरी या क्षमवानी अंत उत्सव हैं.
पर्युषण 2021 की तिथि
पर्युषण की शुरुआत हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से होती है. अंतिम दिन संवत्सरी प्रतिक्रमण है.
पर्युषण पर्व : 4 सितंबर, 2021
संवत्सरी पर्व : सितंबर 11, 2021
पर्युषण पर्व का महत्व
पर्युषण को अपनी आत्मा के करीब जाना है और इसे ध्यान और आत्मनिरीक्षण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि देवता इन आठ दिनों के दौरान तीर्थंकरों की पूजा करते हैं. उपवास और प्रार्थना करने से आध्यात्मिक तीव्रता का स्तर बढ़ता है. दिगंबर दास लक्षणा को उत्तम क्षमा के रूप में मनाते हैं. श्वेतांबर जैन पर्युषण को मिच्छामी दुक्कदमी के रूप में मनाते हैं, विनम्रतापूर्वक क्षमा मांगते हैं कि क्या उसने किसी को भी जानबूझकर या अनजाने में विचारों, शब्दों या कार्यों के माध्यम से चोट पहुंचाई है.
दिगंबर दस दिनों के उपवास पर, तत्त्वार्थ सूत्र के दस अध्याय, एक पवित्र जैन पाठ का पाठ करते हैं. वो छठे दिन सुगंध दशमी के रूप में इसे मनाते हैं. इस दिन वो जैन मंदिर जाते हैं. मूर्ति के सामने वो सुगंध चूर्ण या धूप जलाते हैं और सभी कर्मों को जलाने और उनकी आत्मा को मुक्त करने के विचार के साथ. 12वें जैन तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने अनंत चतुर्दशी को मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया. अनंत चतुर्दशी पर दिगंबर जैनियों द्वारा विशेष पूजा की जाती है. जैन मंदिरों की ओर जाने वाले जुलूसों की व्यवस्था की जाती है.
श्वेतांबर जैन कल्प सूत्र का पाठ करते हैं जबकि कुछ श्वेतांबर स्थानकवासी अंतगद सूत्र का पाठ करते हैं. श्वेतांबर संप्रदाय के लिए संवत्सरी पर्युषण का अंतिम दिन होता है, ये भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पंचमी को पड़ता है. इस दिन जैन सभी से क्षमा मांगते हैं और क्षमा करते हैं.
पर्युषण का उपवास
उपवास पर्युषण का एक महत्वपूर्ण अंग है. ये शक्ति और भक्ति के अनुसार केवल एक दिन या उससे अधिक की अवधि से अलग होता है. सूर्यास्त के बाद वो भोजन नहीं करते हैं. मेडिटेशन पर ध्यान केंद्रित करने और सांसारिक इच्छाओं से उनका ध्यान हटाने के लिए और आत्मनिर्भरता के लिए जागरूकता रखने के लिए भी वो उपवास करते हैं. अंतिम लक्ष्य मोक्ष है, अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए अपना जीवन समर्पित करना.


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