पाकिस्तान के हिंगलाज माता के मंदिर में आते हैं दुनियाभर से श्रृद्धालु, वहां मुस्लिमों में भी पायी जाती है आस्था

कोरोना और लॉकडाउन के कारण भी देशवासियों में नवरात्रि का उत्साह कम नहीं हुआ है.

Update: 2020-10-22 15:52 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना और लॉकडाउन (Lockdown) के कारण भी देशवासियों में नवरात्रि (Navratri) का उत्साह कम नहीं हुआ है. जगह जगह तमाम सीमाओं के बाद भी देवी मां का पूजन किया जा रहा है. भारत में यूं तो देवी के कई प्रसिद्ध और सिद्ध मंदिर हैं. लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) में भी देवी का सिद्ध मंदिर है जिसकी देखरेख तो पाकिस्तानी करते ही हैं, उनकी इस मंदिर में भी आस्था कम नहीं है. यह हिंगलाज माता (Hinglaj Mata) का मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है.

कहां है यह मंदिर

इस मंदिर को हिंगलाज भवानी मंदिर नानी मां का मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के तट पर चंद्रकूप पर्वत पर बसा यह मंदिर बहुत सिद्ध माना जाता है. यहां जाने का रास्ता एक संकरी घाटी से होता हुआ जाता है जो कि बहुत मुश्किल है लेकिन भक्त और श्रद्धालु साल भर इस मंदिर में आते हैं.

हजारों की तादात में आते हैं लोग

नवरात्रों के दौरान यहां मेला लगता है जहां हजारों की संख्या में हिंदू और मुसलमान आते हैं. जिसमें सबसे ज्यादा संख्या आसपास के सिंधी समुदाय के लोगों की होती है. माना जाता है कि यह मंदिर 200 साल से अधिक पुराना है. यह एक छोटी सी गुफा में बना हुआ मंदिर है जिसमें एक छोटे आकार की शिला को ही हिंगलाज माता के रूप के में पूजा जाता है.कैसे बना यह मंदिर

इस मंदिर के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं. इनमें से एक मत के अनुसार, भगवान शिव और देवी सती का विवाह होने के बाद देवी सती के पिता दक्ष ने भगवान शंकर का अपमान किया तो देवी सती ने आत्मदाह कर लिया. आत्मदाह के बाद देवी के शरीर के 51 हिस्से अलग-अलग स्थानों पर गिरा. इन्हीं में से एक स्थान हिंगलाज भी माना जाता है. कहा जाता है कि यह मंदिर वहां स्थित है जहां देवी सती का सिर गिरा था. इसीलिए मंदिर में माता अपने पूरे रूप में नहीं दिखतीं, बल्कि उनका सिर्फ सिर नजर आता है.


एक अन्य मान्यता यह भी

वहीं एक अन्य कथा के अनुसार पौराणिक कथानुसार जब भगवान शंकर माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव नृत्य करने लगे, तो ब्रह्माण्ड को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर को 51 भागों में काट दिया. इस मान्यता के अनुसार भी हिंगलाज ही वह जगह है जहां माता का सिर गिरा था.

नानी का हज

यहां पर श्रद्धालुओं में हिंदू-मुसलमान का फर्क नहीं दिखता है. यहां मुसलमान भी देवी के सामने उतनी ही श्रद्धा से सिर झुकाए नजर आते हैं. पाकिस्तानियों के लिए यह मंदिर नानी का मंदिर है. कई लोग यहां कि कठिन यात्रा को नानी का हज भी कहते हैं. नानी के इस मंदिर में दुनिया भर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर अपना सिर झुकाते हैं.


यह शक्तिपीठ बहुत सिद्ध और दुनियाभर के हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है यह भी मान्यता है कि जो भी भक्त 10 फीट लंबी अंगारों की एक सड़क पर चलते हुए माता के दर्शन करने पहुंचे, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. आज कल यह प्रथा भले ही समाप्त हो गई हो, लेकिन इस मंदिर और माता के प्रति आस्था कम नहीं हुई है.

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