इस नवरात्रि पर हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। नौ दिनों तक पड़ने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, साल में 4 नवरात्रि पड़ती है। जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होती है और 2 को चैत्र और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

Update: 2022-09-14 04:30 GMT

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। नौ दिनों तक पड़ने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, साल में 4 नवरात्रि पड़ती है। जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होती है और 2 को चैत्र और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना के लिए जाना जाता है। वहीं चैत्र और शारदीय नवरात्रि को हर कोई मां दुर्गा की पूजा कर सकता है। इस साल पूरे नौ दिनों की नवरात्रि पड़ रही हैं। बता दें कि इस बार मां दुर्गा हाथी में सवार होकर आ रही है। जानिए इसका लोगों के जीवन पर क्या असर पड़ेगा।

मां दुर्गा की सवारी

देवी भागवत पुराण में मां दुर्गा की सवारियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके अनुसार सप्ताह के वार के हिसाब से मां की सवारी का निर्णय किया जाता है। जो इस श्लोक में बताया गया है।

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥

इस श्लोक का अर्थ है कि रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं। शनि और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता घोड़े पर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं।

हाथी की सवारी और इसका संकेत

इस साल का शारदीय नवरात्रि काफी शुभ माना जाता है। क्योंकि इसका प्रारंभ सोमवार के दिन से हो रहा है। सोमवार पड़ने के कारण मां दुर्गा हाथी में सवार होकर आ रही हैं।

हाथी में सवार होकर आने का मतलब है कि सर्वत्र सुख सम्पन्नता बढे़गी। अधिक बारिश होगी। जिसके कारण चारों और हरियाली ही हरियाली होगी। इसके साथ ही अन्न का खूब उत्पादन होगा।

नाव से होगी मां दुर्गा की वापसी

बता दें कि शारदीय नवरात्रि 5 अक्टूबर को समाप्त हो रहे हैं। इस दिन बुधवार होने के कारण मां दुर्गा नाव पर सवार होकर वापस जाएगी। नौका पर जाना यानी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण होना माना जाता है।

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